Thursday, July 25, 2024
Homeपॉलिटिक्सकन्हैया को टक्कर देने बेगुसराय के बाद अब सीमांचल पहुंचे गिरिराज

कन्हैया को टक्कर देने बेगुसराय के बाद अब सीमांचल पहुंचे गिरिराज

लोकसभा चुनाव के बाद बिहार की सियासत, कड़ाके की सर्दी में काफी ठंडी पर गयी थी, लेकिन जैसे ही ठंड का कहर छटा बिहार के सियासी गलियारों का पारा भी तेजी से चढ़ने लगा। आलम यह है कि अब विदा होती ठंड के बीच सियासत के भी तेवर बदल रहे हैं। आजकल बिहार के सीमांचल का नजारा कुछ ऐसा ही है।

जेएनयू के पूर्व छात्र नेता व भारतीय कम्युमनिस्टा पार्टी के युवा नेता कन्हैया कुमार की जन-गण-मन यात्रा के दौरान ही भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह की इन इलाकों में मौजूदगी के कई गहन राजनीतिक मायने हैं। भले ही गिरिराज सिंह के वहां जाने को रूटीन कार्यक्रम का नाम दिया गया हो, पर यह बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी जमीन तैयार करने की एक शुरुआत है। बुधवार को गिरिराज अररिया तो कन्हैया खगडिय़ा में थे।

बता दें कि कोसी-सीमांचल में विधानसभा की 35 सीटें मायने रखती हैं, एक तरफ सीपीआई नेता कन्हैया हैं, जो यहां की जमीन को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), एनआरसी और एनपीआर के विरोध जैसे मुद्दों की खाद से ज्यादा उर्वर बनाने में लगे हुए हैं, तो दूसरी ओर भाजपा नेता गिरिराज सिंह कन्हैया के इस ‘विरोध’ के विरोध में अपने कैडरों में नई ऊर्जा भरने की कोशिश कर रहे हैं।

कन्हैया के जन-गण-मन यात्रा को क्या टक्कर देगी गिरिराज की रुटीन कार्यक्रम

कन्हैया अपनी जन-गण-मन यात्रा के दौरान सीएए क्यों के सवाल के साथ अपनी नई जमीन बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं, तो वही भाजपा नेता गिरिराज भी अपने चिर-परिचित तेवर में बहुत कुछ बयां कर रहे हैं। भले ही भाजपा ने उनकी मौजूदगी को रुटीन कार्यक्रम बताया हो लेकिन उनका यहां दिया गया यह नया नारा कुछ और ही बयां कर रहा है. उनका नारा है- ‘भारतवंशी तेरा मेरा नाता क्या, जयश्री राम जय श्रीराम।’ राजनीतिक रूप से सीमांचल में होने वाली कोई भी सियासत यहीं तक सिमटी नहीं होती। राज्य ही नहीं, इससे बाहर भी इसके संदेश जाते हैं। इसलिए यहां की इस हलचल को सियासी रणनीति से न जोड़ना नासमझी ही होगी.

विदित हो कि सीएए लागू होने के बाद से ही देश के अलग-2 हिस्सों में विभिन्न समुदायों खासकर मुस्लिम समुदाय द्वारा लगातार धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है। ऐसे में विस चुनाव 2020 को देखकर सभी राजनीतिक पार्टी का ध्यान मतदाताओं की एक बड़ी जमात पर है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव यहां पहले ही सभा कर चुके हैं। सीएए का विरोध कर रहे दलों की नजर इस पर भी है कि कहीं इस जनाधार में बंटवारा न हो जाए।

गौरतलब है कि बेगूसराय में गिरिराज सिंह से बुरी तरह परास्त हो चुके कन्हैया को आरजेडी का साथ नहीं मिला था। विपक्ष को राष्ट्रीय स्तर पर भले ही सीएए का मुद्दा मिल चुका हो, पर बिहार में होने वाले चुनाव के नजरिए से इस पर हर खेमा अलग-अलग नजरें टिकाए दिख रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले की यह गहमागहमी आने वाले दिनों में और बढऩे की उम्मीद है।

बिहार चुनाव के 20-20 में तेजस्वी बनाम नीतीश की होगी लड़ाई

Badhta Bihar News
Badhta Bihar News
बिहार की सभी ताज़ा ख़बरों के लिए पढ़िए बढ़ता बिहार, बिहार के जिलों से जुड़ी तमाम अपडेट्स के साथ हम आपके पास लाते है सबसे पहले, सबसे सटीक खबर, पढ़िए बिहार से जुडी तमाम खबरें अपने भरोसेमंद डिजिटल प्लेटफार्म बढ़ता बिहार पर।
RELATED ARTICLES

अन्य खबरें