Thursday, October 3, 2024
Homeबिहारपटनाकृषि विधेयक विरोध में बेरोजगार किसान इस सरकार को उखाड़ फेकेंगे :...

कृषि विधेयक विरोध में बेरोजगार किसान इस सरकार को उखाड़ फेकेंगे : तेजस्वी यादव

पटना। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाया गया किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 और किसान (सशक्‍तीकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 विवादों में घिर गया। हालांकि दोनों ही विधेयक लोकसभा में पारित हो गया गया। पर विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए गुरुवार को केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। जाहिर है विपक्षी दलों के विरोध के बीच अपने सहयोगियों का साथ खोना मोदी सरकार के लिए झटका माना जा रहा है। इसी क्रम में अब बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी विरोध का स्वर बुलंद करते हुए मोर्चा खोल दिया।

‘नौजवान के बाद किसान अब सरकार के निशाने पर

अध्यादेश वापस लेने की मांग करते हुए तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया,’नौजवान के बाद किसान अब सरकार के निशाने पर। राजद किसान विरोधी डबल इंजन सरकार द्वारा लोकसभा में पारित किसान विरोधी अध्यादेशों पर मुखरता से अपना पुरजोर विरोध प्रकट करती है।

बेरोज़गार युवा और किसान मिलकर इस निकम्मी सरकार को उखाड़ फेकेंगे।’ बतादें कि किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 में एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रावधान किया गया। इसमें किसान और व्‍यापारी विभिन्‍न राज्‍य कृषि उपज विपणन प्रावधानों के तहत अधिसूचित बाजारों या सम-बाजारों से बाहर पारदर्शी और बाधारहित प्रतिस्‍पर्धी वैकल्पिक व्‍यापार चैनलों के माध्‍यम से किसानों की उपज की खरीद और बिक्री लाभदायक मूल्‍यों पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।

कई राजनीतिक पार्टियां इसे किसान विरोधी कह रही

वहीं किसान (सशक्‍तीकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 में कृषि समझौतों पर राष्‍ट्रीय ढांचे का प्रावधान है,जो किसानों को कृषि व्‍यापार फर्मों, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ कृषि सेवाओं और एक उचित तथा पारदर्शी तरीके से आपसी सहमति वाला लाभदायक मूल्‍य ढांचा उपलब्ध कराता है। कई राजनीतिक पार्टियां इसे किसान विरोधी कह रही हैं।

विरोध के लिए जो कारण गिनाए जा रहे हैं, उसके तहत इन विधेयकों के आने से मंडियां खत्म हो गईं तो किसानों को एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा। वन नेशन वन एमएसपी होना चाहिए। कीमतें तय करने का कोई मैकेनिज्म नहीं है।

डर है कि इससे निजी कंपनियों को किसानों के शोषण का जरिया मिल जाएगा और किसान मजदूर बन जाएगा। कारोबारी जमाखोरी करेंगे। इससे कीमतों में अस्थिरता आएगी। खाद्य सुरक्षा खत्म हो जाएगी। इससे आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी बढ़ सकती है।

इसलिए नीतीश कुमार को टेंशन दे रहे चिराग पासवान! जानें अंदरखाने…
Badhta Bihar News
Badhta Bihar News
बिहार की सभी ताज़ा ख़बरों के लिए पढ़िए बढ़ता बिहार, बिहार के जिलों से जुड़ी तमाम अपडेट्स के साथ हम आपके पास लाते है सबसे पहले, सबसे सटीक खबर, पढ़िए बिहार से जुडी तमाम खबरें अपने भरोसेमंद डिजिटल प्लेटफार्म बढ़ता बिहार पर।
RELATED ARTICLES

अन्य खबरें