Saturday, July 27, 2024
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नवादा डाकघर घोटाला केस सीबीआइ को हैंडओवर, अधिकारियों की सिट्टी-पिट्टी गुम

बिहार के नवादा जिले के चर्चित डाकघर घोटाले की जांच के लिए सीबीआइ के अधिकारी गत बुधवार को नवादा पहुंचे। अधिकारियों ने प्रधान डाकघर पहुंच कर प्रारंभिक जांच शुरू की। सीबीआइ टीम के नवादा पहुंचने की खबर के बाद इलाके में हड़कंप मच गया। जांच अधिकारी कुमार अभिनव सहित दो सदस्यीय टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अधिकारी सबसे पहले डाकघर पहुंच कर डाक अधीक्षक रणधीर कुमार से मुलाकात की। तकरीबन 10-15 मिनट तक ठहर कर जांच टीम ने आवश्यक जानकारी जुटाई। इसके बाद दोनों अधिकारी नगर थाना नवादा पहुंचे और अब तक मामले की जांच कर रहे एसआइ बैजनाथ प्रसाद से मिलकर घोटाले से संबंधित जानकारी ली। हालांकि, खबर लिखे जाने तक जांच अधिकारियों ने मीडिया के समक्ष कोई जानकारी नहीं दी। अधिकारियों ने सिर्फ इतना ही कहा कि फिलहाल प्रारंभिक जांच की जा रही है।

प्रधान डाकघर में 5.57 करोड़ रुपये का हुआ गबन

बता दें कि प्रधान डाकघर में 5.57 करोड़ रुपये का घोटाले का मामला सामने आया था। जिसके बाद नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद पिछले ही साल राज्य सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए सीबीआइ से अनुशंसा की थी। हाल में ही कुछ दिन पहले सीबीआइ ने मामले से संबंधित प्राथमिकी दर्ज करते हुए तत्कालीन डाकपाल कपिलदेव प्रसाद और कैशियर अंबिका चौधरी (जो कि अब परलोक सिधार चुके हैं) को आरोपित किया था। ईधर, डाक अधीक्षक रणधीर कुमार ने बताया कि सीबीआइ ने केस हैंडओवर कर लिया है।

कैशियर अंबिका चौधरी अब नहीं रहें

उल्लेखनीय है कि मई 2019 में प्रधान डाकघर में घोटाले का मामला सामने आया था। दरअसल, अप्रैल 2019 में वहां के कैशियर अंबिका चौधरी का तबादला हो गया था, लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी प्रभार नहीं सौंपा जा रहा था। प्रभार सौंपने में विलंब के बीच अप्रैल माह के अंत में विभागीय अंकेक्षण शुरू हुआ। इस दौरान पाया गया कि बैंक से निकाली गई राशि को डाकघर की पंजी में नहीं दर्शाया गया है।

विदित हो कि मई माह में दो करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया। तब डाक अधीक्षक ने तत्कालीन डाकपाल कपिलदेव प्रसाद व कैशियर अंबिका चौधरी को निलंबित कर दिया था। तत्कालीन डाक अधीक्षक विनोद कुमार पंडित ने सहायक डाक अधीक्षक नवीन कुमार के नेतृत्व में जांच टीम का गठन किया गया था। जांच के दौरान पाया गया कि 5.57 करोड़ रुपये का गबन किया गया है। हालांकि, बाद में करीब ढ़ाई करोड़ रुपये जमा भी कराए गए लेकिन शेष राशि काफी समय तक जमा नहीं की जा सकी थी।

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