कोरोना महामारी के संकट को देखते हुये कोरोना के कहर से बचाव को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं। बिहार सरकार भी अपने तरीके से लोगों की सहायता करने की कोशिश कर रही है। जहां एक और इस पहल से कोरोना से सुरक्षा को लेकर लोगों में समझदारी बढऩे लगी है। वहीं, दूसरी ओर, इससे संवेदनाएं भी तार-तार हो रही हैं। हालांकि, सरकार लोगों से लगातार अपील कर रही है कि पीडि़तों और संदिग्धों के साथ उचित व्यवहार करें, और इंसानियत को बनाए रखें, लेकिन लोगों को इस बात का भला कहां फर्क पड़ना है। ऐसी ही कुछ घटना खगडिय़ा में देखने को मिला। यहां एक बुजुर्ग लुधियाना से मुसीबत झेलते हुये पहुंचा लेकिन बेटी ने परदेश से आए पिता के लिए दरवाजा तक नहीं खोला।
दरअसल यह बात आज से तीन-चार दिन पुरानी है। एक व्यक्ति लुधियाना में काम करते थे. जब कोरोना का कहर बढ़ा तो लॉकडाउन के कारण वहां काम ठप हो गया। इसके बाद वह लुधियाना से किसी माध्यम से खगडिय़ा पहुंचे। यहां वह अपनी बेटी के घर चले गए। उनकी आवाज सुनते ही बेटी-दामाद ने वृद्ध को घर में घुसने से मना कर दिया। घर का गेट भी नहीं खोला। विवश पिता स्टेशन चौक के समीप आकर रोने लगे। नगर थाना पुलिस की गश्ती उस ओर से जा रही थी। पुलिस ने वृद्ध से बात की।
मुसीबत के वक्त होती है रिश्तों की पहचान
बता दें कि पुलिस के द्वारा पूछे जाने पर वृद्ध ने बताया कि वह काफी मुश्किलें झेलकर लुधियाना से यहां पहुंचे थे। सोचा था कि बेटी-दामाद के पास लॉकडाउन का समय काट लेंगे। बेटी-दामाद की संवेदनाएं हुयी तार-तार, और उन्होंने हाल पूछने के बजाय उन्हें घर में प्रवेश करने की भी अनुमति भी नहीं दी। इतना बोलते-बोलते वृद्ध फफक-फफक कर रोने लगे। वृद्ध को रोता देख दारोगा पवन कुमार समझ गए कि एक पिता भावनात्मक रुप से पूरी तरह टूट गया है। दारोगा पवन कुमार ने बताया कि वृद्ध काफी बेसहारा महसूस कर रहे थे। इसके बाद पुलिस ने वृद्ध को रिक्शा से अस्पताल भिजवाया।
वृद्ध की मजबूरी सुनकर रिक्शा वाले ने भी उनसे पैसे नहीं लिए। गौरतलब है कि इस विषम परिस्थिति में अभी हर जगह पुलिस मिल जाएगी। सभी थानों व ओपी अध्यक्षों को भी कहा गया है कि लाचार लोगों को हर संभव सहयोग किया जाए। पुलिसकर्मी ऐसा कर भी रहे हैं।
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