दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में गुरुवार को एक दिवसीए वेबिनार का आयोजन हुआ। सीयूएसबी के मीडिया विभाग और गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति द्वारा वेबिनार का आयोजन हुआ। वेबिनार का विषय ‘अहिंसावादी संचार’ रहा। जिसके तहत मीडिया विभाग और गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति के बीच एक औपचारिक अनुबंध भी तय हुआ। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में श्री दीपांकर श्री ज्ञान मौजूद रहे। जो कि गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति के (निदेशक) हैं। डॉ वेदब्यास कुंडू कार्यक्रम अधिकारी के रूप में मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत मीडिया विभाग के विभागाध्याक्ष आतिश पराशर ने की। उन्होंने वेबिनार में मुख्य अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने मुख्य अतिथीयों को छात्रों के साथ रूबरू किया। वेबिनार में मुख्य अतिथि श्री दीपांकर श्री ज्ञान ने अपनी बातों को सभी के सामने रखा। उन्होंने अपने बातचीत के दौरान अहिंसावादी संवाद को समय की जरूरत बताया। साथ ही कहा कि आज समाज में आक्रामक संवाद बढ़ता ही जा रहा है। खास करके आज के युवा वर्ग में यह ज्यादा हुआ है। जिससे समाज शांति व्यवस्था को स्थापित रख पाना मुश्किल होगा। इसलिए गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति ने अहिंसावादी संवाद को एक कोर्स विकसित किया है। अहिंसावादी संवाद के ऊपर बिहार में यह पहला वेबिनार है।
मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ. वेदव्यास कुंडू ने सभी को संबोधित किया। उन्होंने आज के परिप्रेक्ष्य में अहिंसावादी संचार के महत्व पर प्रकाश डाला। इस संबंध में भगवान बुद्ध के एक वाक्य को दोहराया। शब्दों में वह शक्ति होती है, जो या तो आपके संबंधों को और मजबूत कर सकता है, या गलत शब्दों के प्रयोग से व्यक्ति अपने संबंधों को खत्म कर लेता है। अहिंसावादी संवाद भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। गांधीजी ने इसे भारतीय स्वतंत्रता के लिए इस्तेमाल किया था।
श्री कुंडू ने गांधीजी के अहिंसावादी संवाद के पांच स्तंभों- एक-दूसरे के प्रति आदर भाव का होना, एक-दूसरे को समझना, एक दूसरे को स्वीकार करना, एक दूसरे के सकारात्मक चीजों को प्रोत्साहित करना और आईडिया ऑफ कम्पैशन पर छात्रों के साथ विस्तार से चर्चा की।
अहिंसात्मक संचार को मीडिया विभाग नए पाठ्यक्रम में शामिल करेगा
प्रो. पराशर ने इसके लिए श्री कुंडू का स्वागत किया। शोध के प्रति अपनी प्रतिबद्धता विभागाध्यक्ष ने जाहिर की। उन्होंने कहा कि हम इसमें हर प्रकार से मदद करने को तैयार हैं। इस कोर्स को समय की जरूरत बताया। विभागाध्यक्ष ने महात्मा बुद्ध की तपोभूमि से महात्मा गाँधी के सिद्धांत पर सभी के ध्यान को खिंचा। उन्होंने बताया कि अहिंसावादी संचार का ये विषय भारत के अध्यात्म और दर्शन को पेश करेगा। इतिहास साक्षी है कि भारत ने विश्व को युद्ध नहीं बुद्ध दिया है। अहिंसा गांधीजी का बीज शब्द है। गांधी जी की अहिंसावादी दृष्टिकोण वस्तुतः एक मानवीय आविष्कार है।
आज जब हम अपने देश को देख रहे हैं। देश में असहिष्णुता अपने शीर्ष पर पहुंचती दिखाई पड़ रही है। जाति केंद्रित समाज और जाति केंद्रित चुनावी राजनीति भारत की आत्मा को नष्ट कर रही है। धार्मिक असहिष्णुता आज भारत की खुली मानसिकता बनती जा रही है।
इस दौरान अहिंसात्मक संचार को मीडिया विभाग नए पाठ्यक्रम में शामिल किया। विभागाध्यक्ष कहा कि इससे छात्रों के जीवन में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिलेंगे। इस दिशा में मीडिया विभाग नए शोधपत्र व शोधार्थियों को भी आमंत्रित करेगा।
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