पटना विश्वविद्यालय के राजनीतिशास्त्र विभाग की छात्र मिताली प्रसाद एशिया के बाहर की सबसे ऊंची चोटी माउंट अकोंकागुआ (6962 मीटर) पर अकेले पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। मिताली ने बताया कि 13 जनवरी की रात 12:45 मिनट पर उसने दक्षिण अमेरिका की माउंट अकोंकागुआ की चोटी पर तिरंगा लहराया। इसके साथ ही मिताली ने पटना विश्वविद्यालय का झंडा भी लहराया। गुरुवार की सुबह वह तराई पहुंचीं। ऐसा करने के बाद वो एशिया के बाहर की सबसे ऊंची चोटी अकेले फतह करने वाली देश की पहली महिला बन गयी हैं।
झुलस गया है चेहरा
पिछले साल मिताली ने अफ्रीका महादेश की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो (तंजानिया) पर तिरंगा फहराया था। उनका लक्ष्य सात महादेश के सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने का है। मिताली ने बताया कि मौसम खराब होने के कारण चेहरा झुलस गया है। हाथ-पैर की अंगुलियों में अभी तक मूवमेंट नहीं आई है।
मिताली ने चार जनवरी को चढ़ाई प्रारंभ की थी। मौसम खराब होने के कारण अतिरिक्त पांच दिन लगे। राशन खत्म होने को था फिर भी वापस आने की जगह 90 से 100 किलोमीटर की रफ्तार वाली हवा और -30 डिग्री के बीच चढ़ाई की। इसका प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ा है। चोटी से उतरने के बाद स्वास्थ्य की जांच हुई। डॉक्टरों के अनुसार मिताली के सामान्य होने में एक सप्ताह से अधिक समय लगेगा। मिताली ने बगैर गाइड और पोर्टर चढ़ाई की। राशन भी खुद ही उठाया। रास्ते में खाना भी बनाया। रोडमैप और प्लानिंग भी खुद ही की।
कर्ज के पैसे से की चढ़ाई
मिताली 17 दिसंबर को पटना से रवाना हुई थी। उसने बताया कि राज्य के खेलकूद में पर्वतारोहण शामिल नहीं होने के कारण सहायता नहीं मिल पाती। कराटे में ब्लैक बेल्ट मिताली नालंदा के कतरीसराय प्रखंड के मायापुर गांव की है। पटना के बहादुरपुर में परिवार के साथ रहती है। मां चंचला देवी सर्जिकल बेल्ट बनाती हैं। पिता मणीन्द्र प्रसाद छोटे किसान हैं। परिजनों का कहना है कि चोटी फतह की अपार खुशी है लेकिन कर्ज के पैसे से दक्षिण अमेरिका गई है। अब उसे उतारने की चिंता है।