नवीन शर्मा
पटना : जवाहर लाल नेहरू का व्यक्तित्व बहुरंगी है. आप उन्हें सिर्फ ब्लैक एंड व्हाइट में बांटकर आसानी से उनकी सिर्फ तारीफ या आलोचना नहीं कर सकते. उनके व्यक्तित्व के हर पहलू पर नजर डालने की जरूरत है. यह इसलिए भी ज्यादा जरूरी है कि इस शख्स को स्वतंत्र भारत का पहला प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला. इसके साथ ही इन्हें करीब 17 साल का एक लंबा समय मिला नए भारत को आकार देने और गढ़ने का.
नए भारत को दिया आकार
पंडित नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है. उन्होंने ही पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया था. साल 1947 में देश की आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने. नेहरू 1947 से 27 मई 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे.
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आप आसानी से उनकी सिर्फ तारीफ या आलोचना नहीं कर सकते. उनके व्यक्तित्व के हर पहलू पर नजर डालने की जरूरत है. यह इसलिए भी ज्यादा जरूरी है कि इस शख्स को स्वतंत्र भारत का पहला प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला. इसके साथ ही इन्हें करीब 17 साल का एक लंबा समय मिला नए भारत को आकार देने और गढ़ने का.
शिक्षा और उद्योग से नए भारत को दिया आकार
पंडित नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है. उन्होंने ही पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया था. साल 1947 में देश की आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने. नेहरू 1947 से 27 मई 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे.
शिक्षा ही वो सबसे महत्वपूर्ण कारक है जो किसी भी राष्ट्र के विकास की रूप रेखा और गति को निर्धारित करने में सबसे अहम भूमिका निभाता है. नेहरू ने इस बात को जाना था और उनके कार्यकाल में ही देश में आई आई टी IIT और आईआईएम IIM जैसे प्रीमियर संस्थान स्थापित हुए. यूजीसी की स्थापना हुई जो सेंट्रल यूनिवर्सिटी की देखरेख करता है. कला के विकास के लिए संगीत नाटक अकादमी स्थापित की गई. नेशनल स्कूल आफ ड्रामा स्थापित हुआ. फिल्मों के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिल्म का निर्माण हुआ. कृषि विश्वविद्यालय भी बनाए गए.
नेहरू के शासनकाल में ही बड़े स्टील प्लांट भिलाई व दुर्गापुर में बने. माइनिंग के लिए धनबाद में आईएसएम स्थापित हुआ. देश के सबसे बड़े डैम भाखड़ा नांगल और हीराकुड भी नेहरू युग की ही उपलब्धि हैं.
जवाहरलाल नेहरू की जीवन यात्रा
14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था. उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूपरानी था. जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडित समुदाय से थे, इसलिए उन्हें पंडित नेहरू (Pandit Nehru) बुलाया जाता था. नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार था. बच्चे उन्हें चाचा नेहरू (Chacha Nehru) कहकर बुलाते थे. जवाहरलाल नेहरू ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लॉ किया था. पंडित नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की.
ऊपर से गांधी टोपी, मिजाज से वेस्टर्न
1919 में जवाहरलाल नेहरू नेहरू महात्मा गांधी के संपर्क में आए, नेहरू गांधी जी से प्रभावित हुए और उन्होंने गांधी के उपदेशों के अनुसार खुद को कुछ हद तक ढाल लिया. नेहरू गांधी की तरह ही कुर्ता और टोपी पहनने लगे थे. लेकिन उनका ये रुपांतरण सिर्फ बाहरी ही था मन मिजाज से नेहरू पश्चिम के ही रहे. यह बात उनके खानपान और रहन-सहन में साफ देखी जा सकती है. वे शराब व सिगरेट का सेवन करते थे. वे लालबहादुर शास्त्री, सरदार पटेल व राजेंद्र प्रसाद की तरह कट्टर गांधीवादी नहीं थे. उनका गांधीवादी होना बहुत ही ओढा हुआ था.
जवाहरलाल को सिगरेट पीने का बहुत शौक था. वो हर जगह सिगरेट पीते भी नजर आते थे. एक वक्त की बात है जब नेहरू भोपाल पहुंचे तो वहां उनकी 555 ब्रांड की सिगरेट खत्म हो गई. वहां कहीं भी उनकी सिगरेट नहीं मिली. जिसके बाद विशेष विमान में इंदौर से सिगरेट लाई गई.
अहमदनगर जेल में रहे
1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में नेहरूजी (Jawaharlal Nehru) 9 अगस्त 1942 को बंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रहे, जहां से 15 जून 1945 को रिहा किए गए. नेहरू को अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत का ज्ञान था. नेहरू 1905 में पढ़ाई के लिए ब्रिटेल चले गए थे. जवाहरलाल नेहरू ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लॉ किया था.जवाहर लाल नेहरू की शादी 1916 में कमला नेहरू से हुई. इसके एक साल बाद उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया जिसका नाम इंदिरा प्रियदर्शनी था.
पंडित नेहरू को एक बार लंदन जाने वाले थे. उनका नाई हमेशा लेट हो जाया करता था. नेहरू के पूछने पर नाई ने कहा- ‘मेरे पास घड़ी नहीं है, जिसके कारण वो हमेशा लेट हो जाया करते हैं.’ जिसके बाद वो लंदन से नई घड़ी लाए थे.
जवाहरलाल चिंतित थे कि भारतीय महिलाएं ब्यूटी प्रोडक्ट्स पर बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा खर्च कर रही हैं. जिसको देखते हुए नेहरू ने जेआरडी टाटा ने ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने का निवेदन किया. जिसके बाद लैक्मे मार्केट में आया.
नेहरू की विदेश नीति कुछ मामलों में सही थी पर कई मामलों में वे मात खा गए. आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तानी सेना ने कबालियों की आड़ में कश्मीर पर आक्रमण किया. कश्मीर के एक तिहाई हिस्से में कब्जा भी कर लिया. इसके बाद नेहरू सरकार की नींद टूटी और भारतीय सेना ने कश्मीर जाकर पाकिस्तान को और आगे बढ़ने से रोका. यह मामला यूएन में गया और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर जिसे भारत पाक अधिकृत कश्मीर कहता है पर पाकिस्तान का कब्जा आज तक बरकरार है.
जब चीन ने भारत के पीठ में घोंपा था छूरा
चीन की शातिराना नीति को नेहरू नहीं समझ पाए. हिंदी चीनी भाई भाई का नारा सिर्फ नारा ही था. चीन ने भी भारत पर हमला किया और भारत की जमीन पर कब्जा किया. इस युद्ध में भी भारत को अपनी जमीन गंवाकर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के बाद युद्ध विराम करना पड़ा.
नेहरू ने अमेरिका या सोवियत संघ के गुट में शामिल होने से इंकार किया. वे गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से थे, लेकिन इसके बाद भी अपने समाजवादी विचारों के कारण उनका झुकाव सोवियत संघ की तरफ रहा.
अंग्रेजी के अच्छे लेखक थे जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू एक अच्छे लेखक भी थे. उनकी प्रमुख किताबें डिस्कवरी ऑफ इंडिया और ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री हैं. उन्होंने अपनी आत्मकथा भी लिखी है.
नेहरू अंग्रेजी को ही महत्व देते थे. गांधी जी की तरह हिंदी से उनको कोई प्रेम नहीं था. यही वजह रहा कि सरकार और ब्यूरोक्रेसी में अंग्रेज़ी का ही वर्चस्व बरकरार रहा. नेहरू को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था. 27 मई 1964 में उनकी मृत्यु हुई.