बिहार की ऐतिहासिक जमीन पर 3 मार्च 2019 दिन रविवार को भाजपा और उनके सहयोगियों ने संकल्प रैली का आयोजन किया। रैली का महत्व भी था, देश के प्रधानसेवक जो भाग ले रहे थे। कार्यक्रम का समय दिन के 12 बजे का निर्धारित किया गया था। सत्ताधारी दल और सहयोगी दल में इस बात को लेकर उत्साह भी अपने चरम पर। बिहार की जनता भी सुबह से कुछ उमीदों के साथ पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान की ओर कदम बढ़ा रही थी। ऐसे में ठीक इसी दिन सुबह 9:30 बजे जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सीआरपीएफ इंस्पेक्टर, बिहार के जवान शहीद पिंटू कुमार सिंह का शव भी पटना की धरती पर आया।
शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने के लिए सरकार नदारद
परन्तु आलम तो यह था की 15 दिन पहले पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में शहीदों को श्रद्धांजलि देने वाले प्रदेश भर के नेताओं को अपने रैली की तैयारी की वजह से शहीद पिंटू कुमार को नमन करने के लिए 10 मिनट का समय भी नहीं मिला। राज्य के सत्ताधारी दल का कोई भी नेता वीर जवान शहीद पिंटू कुमार सिंह को श्रद्धांजलि देने नहीं आया। जबकि लगभग 2 घंटे बाद प्रधानसेवक की अगुवाई के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और उनके सहयोगी लगभग आधे घंटे तक उनके आगमन में पलक पावड़े बिछाये बैठे थे।
भला हो इन सत्ताभोगियों की मानसिकता का, और मानसिकता भी ऐसी की खबर वायरल होने पर ट्वीट कर माफ़ी मांगने लगे। अब माफ़ी मांग कर आप अपनी फजीहत ही करवा रहे हैं, जरा सी भी संवेदना होती तो दिखावा नहीं करते सरकार। दुःख की घडी में शहीद के परिवार भी नाराज़ दिखी सरकार से।
मोदी की आवभगत में लगे बिहार के मंत्री भूल गए कि उधर शहीद का शव भी आ रहा है।
संकल्प रैली में जुटे 60 से अधिक नेता
खैर हम रैली की बात कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने करीब नौ साल बाद किसी चुनावी रैली में एक साथ मंच साझा किया। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, लोजपा सुप्रीमो राम विलास पासवान, राजीव प्रताप रूडी, राजीव रंजन सिंह, नित्यानंद राय, भूपेंद्र यादव, रामकृपाल यादव, विजय कुमार सिन्हा समेत एनडीए के 60 से ज्यादा नेता कार्यक्रम में मौजूद रहें रैली से पहले दवा किया गया था की इतनी भीड़ जुटेगी जो पुराने सभी रिकॉर्ड को धवस्त कर देगी।
सरकार और सरकार में शामिल दलों के नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी इस रैली को सफल बनाने में। बिहार की जनता भले ही साक्षरता दर में बहुत निचले स्थान पर है लेकिन बुद्धि विवेक में आप इनका मुकाबला नहीं कर सकते। जनता जानती थी की जुमला ही सुनने को मिलेगा और साथ ही अपनी अपने डीएनए की जांच रिपोर्ट लिए बगैर 10 साल बाद एक मंच पर राज्य के पलटू चाचा भी साथ होंगे।
प्रधानसेवक की 156 इंच की छाती
रैली के मंच पर लगभग 60 नेताओं का जुटान हुआ था और अगर हर नेता अपने क्षेत्र से 2000 लोगों का जुटान भी कर पाते तो संख्या लाख के पार जरूर पहुँच गयी होती। खैर अब जब नेता बोलने उठे तब शहीदों के शहादत पर राजनीति न करने की सलाह देने वाले इन नेताओं ने खुद ही इसपर राजनीति शुरू कर दी। सब नेताओं की जुबान पर बस पकिस्तान के ऊपर हुए हवाई हमले की तारीफ़ दिखी।
साथ ही 56 इंच के सीने को 156 इंच का बना दिया गया। अब क्या बोलें इस बात पर, शायद वो दिन भूल गए जब इनके ही संसदीय क्षेत्र में इनके ऊपर जनता के जूतों और चप्पलों से हवाई फायरिंग हुई थी।
बात आगे बढ़ी और अब राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोलने के लिए उठे, उन्होंने पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि भारत ने आतंकवाद का कड़ा जवाब दिया है। उसी आतंकवाद का जो इन प्रधानसेवक के राज में अपनी ऊंचाइयों पर है। पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने जवानों की तारीफ की। जवाब नहीं है साहब का, सुबह की बात भूल गए, जवान शहीद को हमारी श्रद्धांजलि।
नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीबों के लिए एक से बढ़कर एक योजना लाए हैं। तारीफ नहीं करेंगे तो सीबीआई जो पीछे पड़ जायेगा, वैसे ही कोर्ट कई बार बालिका गृह काण्ड पर सरकार और सीबीआई तक को लताड़ लगा चुका है, कहीं सृजन वाला मामला फिर से लाइमलाइट में आ गया तो राजनीति करियर न ख़त्म हो जाए और जेल अलग से। उन्होंने कहा की उज्जवला योजना से गरीबों को गैस कनेक्शन मिला, वही गरीब जो दूसरी बार गैस सिलिंडर लेने नहीं गया।
क्या बोले प्रधानसेवक
अब बारी थी देश के प्रधानसेवक के भाषण का। उन्होंने कहा की देश का चौकीदार पूरी तरह से चौकन्ना है, देश के दुश्मनों पर हमारी कड़ी नजर है। चौकीदार अगर चौकन्ना होता तो 200 किलो RDX लेकर कोई देश के जवानो के परखच्चे नहीं उड़ा पाता। उन्होंने आगे कहा की देश पर बुरी नजर रखने वालों को जवाब दे रहे हैं। नया भारत जवानों की शहादत पर चुप नहीं बैठता। अब इसे जवानों के शहादत पर राजनीति नहीं कहेंगे तो फिर क्या कहेंगे? नए भारत में शहादत भी ढेर सारे हो रहे हैं।
आगे उन्होंने कहा, अगर देश में महामिलावट की सरकार होती तो ना ही गरीबों के लिए काम होता, ना ही विकास होता। महामिलावट वो बोल रहे हैं जिनका गठबंधन देश में लगभग 40 छोटी बड़ी पार्टियों से है। आगे कहा, ‘महा मिलावट’ के घटक सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए जीते हैं, उन्हें देश कोई कोई परवाह नहीं। उफ़ इतनी बड़ी बड़ी बातें, बोलते बोलते थकते नहीं क्या साहब, क्या आपने वो कहावत नहीं सुनी “गरजने वाले बादल बरसते नहीं”। हाँ बादल से याद आया, जब प्रधानसेवक बोलने के लिए उठे तब इन्द्रदेव भी परेशान होकर बारिश की बुँदे गिराने लगे और फिर जो भी भीड़ जमा हुई थी तीतर बितर होने लगी।
अपने ही बयान में फंसे भाजपा के नेता
लिखते लिखते याद आया भाजपा के नेता जो हर बात पर विरोधियों को देशद्रोही बताने लगते है आज खुद उसी चक्रव्यूह में फंस गए। बीजेपी के जाने माने नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तीन मार्च को पटना में हुई एनडीए की संकल्प रैली को लेकर बयान दिया था कि जो रैली में नहीं आएगा वो देशद्रोही होगा।
PM मोदी की रैली में नहीं पहुंचने पर सवालों से घिरे गिरिराज सिंह
लेकिन रविवार को हुई पीएम मोदी की रैली में वह खुद ही नहीं पहुंच पाए। रैली में शामिल नहीं होने की पुष्टि उन्होंने खुद ट्वीट करके दी। उनका वह पुराना बयान और रैली में शामिल न होने का ट्वीट दोनों ही सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। अब देशद्रोही कौन है ज़रा हमारे मीडिया के पत्रकार दोस्त उनसे जरूर पूछे।
क्या मिला बिहार को?
खैर पुरे रैली तो हो गयी परन्तु बिहार को कुछ भी स्पेशल नहीं मिला, पुराना वाले घोषणा का भी कोई अंश नहीं मिला और न ही मिला बिहार को स्पेशल पैकेज। यहाँ उसी स्पेशल पैकेज की बात कर रहा हूँ, जिसको लेकर कभी नितीश कुमार ने इसी गाँधी मैदान में जनता को बुलाया था और संकल्प लिया था की जबतक बिहार को विशेष राज्य का दर्ज़ा ना दिला दूँ तबतक चैन नहीं लूंगा।
आज वही नितीश कुमार नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर चैन से बैठे मुस्कुरा रहे थे और केंद्र सरकार की तारीफ़ में कशीदे पढ़ रहे थे। वाकई यह एक बदलाव है, वाकई यह बढ़ता बिहार है, वाकई यह नितीश कुमार का बिहार है।
विपक्ष ने ली चुटकी
इनसब के बीच में बिहार विपक्ष ने भी जमकर चुटकी ली। शाम होते होते ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा #BiharRejectsModi का हैशटैग। साथ ही वायरल होने लगा रैली में आये जनता के भीड़ की फोटो। यही सब देख कर लालू प्रसाद ने भी ट्वीट कर चुटकी लेते हुए कहा की इतने भीड़ तो वह पान खाते समय पान की दूकान पर जुटा लेते थे।
अब लगभग 40 दिन बचे हैं चुनाव में, जनता के हाथ में है अगले सरकार की चाभी। देखना है की बीजेपी के यह विजय संकल्प रैली कितना असर करती है बिहार की जनता के दिलों दिमाग पर।