अपना राज्य बिहार वाकई किसी चीज़ में पीछे नहीं है। कभी पुरे विश्व का गौरव रहा बिहार आज भी पूरी दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहा है। फर्क थोड़ा सा है बस, जहाँ पहले अपनी गौरवशाली परंपरा और संस्कृति के लिया जाना जाता था आज वही विश्व के प्रमुख प्रदूषित शहरों के लिए। राजधानी पटना को मिला है 7वां स्थान|
हाल ही में ग्रीनपीस साउथईस्ट एशिया के द्वारा प्रकशित, 2018 वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट में विश्व के 20 शहरों में बिहार के तीन शहर का नाम प्रचलित हुआ। इन् 20 शहरों में पटना 7वें स्थान पर, मुजफ्फरपुर 12वें और गया 18वें स्थान पर रहे। रिपोर्ट में बताया गया है की विश्व के 20 शहरों में 18 भारत के शहर हैं। वाकई हमने कुछ तो उपलब्धियां हासिल की है, अच्छी न बुरी ही सही।
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वायु प्रदुषण में मुज़फ़्फ़रपुर का बारहवां स्थान
रिपोर्ट में बताया गया है की, बिहार में, पटना के बाद मुज़फ़्फ़रपुर है जो रिपोर्ट में पीएम 2.5 की वार्षिक औसत 110.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के साथ 12वें स्थान पर है, इसके बाद गया में 18 वें रैंक पर पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 96.6 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।
अगर हम खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की बात करें, तो पटना लगातार इस सूची में सबसे ऊपर बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के द्वारा तैयार की गई एक दैनिक राष्ट्रव्यापी रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार 5 मार्च को AQI स्तर को 234 पर मापा गया, और इसे बहुत ही ‘खराब’ श्रेणी में रखा गया।
CPCB के अनुसार, ‘खराब’ वायु गुणवत्ता लंबे समय तक जोखिम पर ज्यादातर लोगों को सांस लेने में असुविधा पैदा कर सकती है। शहर का एक्यूआई, वास्तव में दिसंबर और जनवरी के चरम सर्दियों के महीनों में 400 से अधिक हो जाता है।
हो सकती हैं अस्थमा जैसी बीमारियाँ
रिपोर्ट में परिवेशी वायु प्रदुषण के कुछ बड़े स्रोतों और कारणों की पहचान की गयी है। इनमे कहा गया है की ‘उद्योगों, घरों, कारों और ट्रकों से वायु प्रदूषकों के जटिल मिश्रण निकलते हैं, जिनमे से अधिकांश स्वास्थ के लिए खतरनाक है।
पीएम 2.5 जैसे छोटे आकार के कण पदार्थ के उच्च सांद्रता के संपर्क में होने के कारण, प्रदूषक हमारे श्वसन तंत्र में प्रवेश करते हैं और हमारे वायुकोशीय में बस जाते हैं, जिससे श्वसन संबंधी कई समस्याएं जैसे नाक की रुकावट, नाक में संक्रमण, श्वसन पथ का संक्रमण और अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
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