विकासशील इंसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सन ऑफ़ मल्लाह मुकेश सहनी ने आज चमकी बुखार को लेकर बिहार सरकार पर जोरदार हमला बोला और कहा कि साल 2019 के मार्च-अप्रैल तथा मई के महीने में चमकी बुखार से बिहार में सैकड़ों मासूम बच्चों की जान चली गई थी। सरकार, प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही से उचित इलाज के अभाव में सैकड़ों बच्चों ने दम तोड़ दिया था। उस समय सरकार द्वारा बड़े-बड़े वादे किए गए थे। मगर नतीजा हवाई ही रहा।
मार्च का महीना आ गया है तथा मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को एसकेएमसीएच में भर्ती करवाया गया है। तेज बुखार के बाद चमकी आने की समस्या पर रविवार को कांटी के रामपुर लक्ष्मी निवासी मोजन सहनी के पुत्र सन्नी कुमार को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। क्या राज्य सरकार के लापरवाह और उदासीन रवैये से आने वाले महीने में मुजफ्फरपुर तथा आसपास के जिलों में साल 2019 की कहानी दुहराएगी?
मुकेश सहनी ने पिछले वर्ष चमकी बुखार के बाद युवा समाजसेवियों के एक दल द्वारा जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 2019 में चमकी बुखार से प्रभावित परिवारों में मुख्यतः दलित, पिछड़ा तथा अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं। 27.8 फीसदी बच्चे महादलित, 10.1 फीसदी दलित, 32.2 फीसदी पिछड़ा समुदाय, 16.3 फीसदी अति पिछड़ा तथा 10.1 फीसदी बच्चे अल्पसंख्यक समुदाय से थे। इसमें सामान्य श्रेणी के बच्चों की संख्या महज 3.5 फीसदी थी।
साथ ही प्रभावित परिवारों में 45.5 फीसदी परिवारों की आय 5000 रूपये से भी कम थी। बीमार बच्चों में 58.1 फीसदी को ही जेई का टिका लगाया गया था। इससे साफ़ जाहिर होता है कि चमकी बुखार से पीड़ित परिवार मुख्य रूप से समाज का पिछड़ा तथा गरीब तबका था। इसमें से 22 फीसदी परिवार का नाम पंचायतों के बीपीएल सूची से भी गायब था।
विज्ञापनों ओर जुमलों वाली सरकार
उन्होंने कहा कि प्रदेश के एक-एक बच्चे की जान कीमती है। मगर विज्ञापनों ओर जुमलों वाली नीतीश सरकार का पूरा ध्यान सिर्फ जनता को धोखे में रखकर चुनाव जीतने पर है। सरकार द्वारा दावा किया गया था कि चमकी का सीजन शुरू होने से पहले SKMCH में 100 बेड का स्पेशल AES वार्ड शुरू हो जाएगा जो की अबतक नहीं हो पाया है। साथ ही टीकाकरण तथा अस्पतालों में ग्लूकोमीटर, ग्लूकोज चढ़ाने की व्यवस्था, रात के वक़्त डॉक्टरों की तैनाती एवं बीमार बच्चों को अस्पताल लाने के लिये एम्बुलेंस या वाहन की क्या व्यवस्था की गारंटी सरकार को करनी चाहिए।
सरकार इस पर रहे सजग
मुकेश सहनी ने कहा कि सरकार तथा स्वास्थ्य विभाग को तुरंत इस बात की जानकारी देनी चाहिए कि बीते वर्ष से सबक लेते हुए इस साल चमकी बुखार से निपटने के लिए किस तरह के स्वास्थ्य इंतजाम किए गए हैं? सरकार को बताना चाहिए कि क्या एसकेएमसीएच तथा दुसरे अस्पतालों को चमकी बुखार से निपटने के लिए सक्षम बना लिया गया है?
उन्होंने स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि चमकी का मौसम शुरू हो गया है। अप्रैल-मई आते-आते चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या में इजाफा होने की संभावना है। ऐसे में सरकार को इसपर इमरजेंसी में ध्यान देकर यह पुख्ता करना चाहिए कि इस साल चमकी बुखार से प्रदेश के एक भी बच्चे की जान ना जाए।