नयी दिल्ली। बिहार में कोरोना वायरस के संक्रमण और बाढ़ की दोहरी मार का मुद्दा उठाते हुए राज्यसभा में रविवार को मांग की गई कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए। शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए राजद के मनोज झा ने कहा कि बिहार में हर साल मानसून के दौरान बाढ़ आती है और राज्य में जानमाल का भारी नुकसान होता है। इस साल तो कोरोना वायरस का संक्रमण भी फैला हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए सुरक्षित दूरी बनाए रखना आवश्यक है। बाढ़ प्राकृतिक आपदा है और बिहार में इस साल कोरोना काल में यह प्राकृतिक आपदा आई है। ऐसे में सुरक्षित दूरी के मानक का पालन कैसे किया जा सकता है?
बाढ़ प्राकृतिक आपदा है लेकिन कहीं न कहीं मानव जनित संकट
झा ने कहा ‘यह सच है कि बाढ़ प्राकृतिक आपदा है लेकिन कहीं न कहीं यह मानव जनित संकट भी है। इसका स्थायी समाधान खोजना बेहद जरूरी है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इस मुद्दे से जुड़ा एक पक्ष नेपाल भी है।’ उन्होंने कहा ‘कई कारणों की वजह से बिहार सामूहिक चिंता का विषय रहा है। इस बार तो राज्य पर दोहरी मार पड़ी है।’ झा ने मांग की कि सरकार सभी पक्षों को साथ लेकर कोई ऐसा स्थायी समाधान निकाले जिससे लोगों के बीच सुरक्षित दूरी भी बनी रहे और बाढ़ से उनका बचाव भी हो। वहीं विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।
अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी बिहार से जुड़ा मुद्दा उठाया
शून्यकाल में कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी बिहार से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बिहार की कोरोना वायरस संकट के कारण विभिन्न अदालतों में अपनी पूरी क्षमता से कामकाज नहीं हो पा रहा है, जिससे जमानत संबंधी मामलों की सुनवाई प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि बिहार की 59 जेलों में कोरोना वायरस से संक्रमित कैदियों की संख्या करीब 50,000 है। जेलों में सुरक्षित दूरी के मानक का पालन जरूरी है और कैदियों की बढ़ती संख्या की वजह से ऐसा हो पाना मुश्किल है। सिंह ने कहा कि राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। उन्होंने मांग की कि इस गंभीर स्थिति की समीक्षा कर समुचित फैसला किया जाना चाहिए।