राम मंदिर शिलान्यास: राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम काेर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने एएसआई रिपाेर्ट को आधार मानते हुए विवादित जमीन के 2.77 एकड़ के हिस्से काे रामजन्मभूमि न्यास काे देने का फैसला दिया है। मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड का विवादित जमीन पर दावा भी काेर्ट ने नहीं माना। काेर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने के नियम बनाए और तीन महीने में अपनी याेजना काेर्ट काे बताए। अयाेध्या में 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद भी बनेगी। आखिर 500 साल से चला आ रहा यह विवाद 206 साल की कानूनी लड़ाई के बाद खत्म हो गया है।
काेई अप्रिय घटना नहीं
सुप्रीम काेर्ट के फैसले के बाद देशभर में शांति और सद्भाव का माहाैल बना हुआ है। कहीं से भी किसी भी तरह की काेई अप्रिय घटना की खबर अब तक नहीं मिली है। अयाेध्या में पहले से ही 10 हजार से ज्यादा अर्द्धसैनिक बलाें और पुलिस के जवान तैनात हैं। साथ ही उत्तरप्रदेश के भी सभी जिलाें में धारा 144 लागू है। संविधान पीठ ने अपने फैसले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही है कि इस फैसले में संतुलन बना रहे। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की शुरुआत में ही हिंदू पक्ष निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने इस पक्ष को एक तिहाई हिस्सा दिया था।
गौरतलब है कि 9 नवम्बर 1989 की वह तारीख थी। जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और राजीव गांधी देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री थे, उसी वक्त सरकार की अनुमति के बाद 30 साल पहले अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर की नींव पड़ी थी। शिलान्यास के लिए पहली ईंट विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन जॉइंट सेक्रटरी कामेश्वर चौपाल ने रखी थी। चौपाल का नाता बिहार से है और वे दलित समुदाय से आते हैं।
शिलान्यास के लिए दो लाख गांवों से ईंटें
एक निजी सामाचार चैनल से बात करते हुए कामेश्वर चौपाल ने आज के दिन को ऐतिहासिक बताया। चौपाल उस दिन को याद करते हुए कहते हैं कि शिलान्यास के लिए देश के तकरीबन दो लाख गांवों से ईंटें आईं थीं।
बिहार में सुपौल के रहने वाले चौपाल कहते हैं कि संतों द्वारा एक दलित व्यक्ति से मंदिर का शिलान्यास करवाना मेरे लिए वैसा ही था, जैसे राम जी द्वारा शबरी को बेर खिलाना। यह ऐतिहासिक पल मेरे और दलितों के लिए गर्व का विषय है। आज कामेश्वर चौपाल 65 साल के हो चुके हैं। वे कहते हैं कि पहली ईंट रखने वाला पल मैं जीवन भर नहीं भूल पाउंगा। वो क्षण हमें हमेशा गर्व का एहसास करता रहता है। बता दें कि राम मंदिर की नींव के लिए पहली ईंट रखने के साथ ही चौपाल इतने मशहूर हो गए कि वे दो बार बिहार विधान परिषद के सदस्य भी बने। तब से लेकर सीतामढ़ी और अयोध्या के रिश्ते को प्रगाढ़ माना जाता है।