हमारे देश भारत में हर आठ मौतों में से एक हवा में प्रदुषण के कारण हो रही है। एक अनुमान से पता लगता है की 18 प्रतिशत वैश्विक आबादी के साथ भारत में समय से पहले होने वाली मौत का मुख्य कारण वायु प्रदूषण है। यह आकड़ा असमान रूप से 26 प्रतिशत अधिक है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है की अगर वायु प्रदुषण न्यूनतम स्तर से काम हो तो भारत में औसत जीवन 1.7 वर्ष अधिक होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की लगभग 77% आबादी प्रदूषित हवा में रह रही है, वैसी हवा जो वायु गुणवत्ता मानकों की सुरक्षित सीमा से अधिक है।
वायु प्रदुषण से अधिक प्रभावित है पूर्वोत्तर राज्य
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों विशेषकर बिहार,उत्तर प्रदेश और झारखण्ड वायु प्रदुषण के मामले में अधिक खतरनाक बने हुए हैं। इन राज्यों के हवा में व्यापक मात्रा में प्रदूषक कण पाए गए हैं। बिहार में पटना, मुजफ्फरपुर और अब गया शहर की हवा भी प्रदूषित हो गयी है। हालांकि गया की हवा अभी तक कई बार मध्यम श्रेणी की दर्ज की जाती रही है। फिलहाल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक पटना, मुजफ्फरपुर की हवा ‘कष्टदायक’ और गया की हवा ‘बहुत खराब’ श्रेणी की पायी गयी। इन शहरों का इंडेक्स वैल्यू क्रमश: 405, 403 और 313 पाया गया है।
जानकारी के मुताबिक पुरे देश में 60 से अधिक शहरों की हवा की गुणवत्ता की मॉनीटरिंग की जा रही है। इसमें बिहार की राजधानी पटना की हवा पिछले कुछ माह से लगातार खराब दर्ज की गयी है। बिहार के इन तीनों शहरों की हवा को सबसे ज्यादा प्रभावित धूल, कचरा और वाहनों के धुएं से निकलने वाले रासायनिक तत्वों ने किया है।
राजधानी दिल्ली की हालत सबसे ख़राब
अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी 2.5 पीएम के साथ परिवेश कणों के मामले में उच्चतम प्रभाव दर्ज किया है, अध्ययन में कहा गया है कि पिछले साल आउटडोर वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली में औसत जीवन प्रत्याशा 1.5 साल कम हो गई है।
यह हालत किसी राज्य विशेष की नहीं नहीं है , पुरे भारत की हवा में जहरीले कण पाए जा रहे हैं। पुरे विश्व में भारत की स्थिति बहुत ख़राब नजर आती है।
वर्ष 2017 में, वायु प्रदूषण से भारत में लगभग 12.4 लाख लोग भगवान् को प्यारे हो गए। जिसमें 4.8 लाख लोग बाहरी प्रदूषण पदार्थ वायु प्रदूषण और 6.7 लाख लोगों के मौतों की वजह घरेलू वायु प्रदूषण की वजह से हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मौतों में आधे से अधिक लोग 70 साल से कम उम्र के लोग थे।
बदलाव खुद से संभव
सोचिये क्या हम अपने आने वाले पीढ़ियों के लिए अच्छी सुविधाएँ जुटा रहे हैं? एक फॅमिली में अगर 4 लोग हैं तो क्या उन चार को अलग अलग गाडी में चलना उचित है। अपने स्टेटस सिम्बल को अच्छा दिखाने के चक्कर में क्या हम अपनी जिंदगी और आने वाले भविष्य की जिंदगी दाव पर नहीं लगा रहे?
अगर हम अपने परिवार के 4 गाड़ियों को 2 में बदल दें, या यूँ कहे की 2 गाड़ियों को 1 में, तो भारत से लगभग आधी गाड़ियां काम हो जाएँगी और आप खुद सोच सकते हैं की अगर 30 प्रतिशत भी गाडी कम हो जाती है तो प्रदुषण कितना कम हो जायेगा। कम दुरी के लिए हम पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
सिर्फ गाड़ियां ही नहीं, पेड़ो को काटकर शहरीकरण में बदलना भी एक प्रमुख समस्या है। कोशिस कीजिये की अपने आसपास 2-4 नए पेड़ लगाए जाएँ। अगर भारत का हर नागरिक एक पेड़ लगाता है तो लगभग 100 करोड़ नए पेड़ होंगे और वायु प्रदुषण की समस्या कम हो सकेगी।