बिहार में अब बाढ़ का खतरा बढ़ने लगा है। कोरोना संक्रमण की मार झेल रहे बिहार के लिए अब बाढ़ की समस्या पैदा हो रही है। वाल्मिकी नगर बराज से पानी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। इससे गंडक नदी उफान पर आ रही है। गंडक का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगा है। इससे दियारा के निचले इलाकों के गांवों में पानी जमा हो गया है। वहां के 6 गांव जल मगन हो चुके हैं। गंडक नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। जलस्तर के बढ़ने से बाढ़ का पानी गांवों में घुसता जा रहा है। ऐसे में लोग अपना घर छोड़ कर ऊंचे स्थानों पर जा रहे हैं। रामनगर, मकसूदपुर, मेंहदिया, जगरीटोला में गंडक का पानी घुसने लगा है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है।
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जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा है कि बाढ़ राहत कार्य में नेपाल द्वारा बाधा पहुंचाने पा प्रयास हो रहा है। जिससे कि बिहार के कई जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है। हर रोज बाढ़ का पानी छोड़ा जा रहा है। 19 जून को नेपाल ने गंडक में 80 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा है। 20 जून को वाल्मीकिनगर बैराज से गंडक नदी में 1.52 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। 21 जून को नेपाल ने 1 लाख 47 हजार 500 क्यूसेक पानी गंडक में छोडा है। जबकि 22 जून को नेपाल ने 1 लाख 58 हजार क्यूसेक पानी छोडा है। इससे बाढ़ का खतरा और गहरा होते जा रहा है।
बिहार में बाढ़ को लेकर लिखा पत्र
बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा है। उन्होंने नेपाल द्वारा नदियों के बांध में मरम्मत कार्य बाधित करने पर चिंता जताई। इससे उत्तर बिहार में बाढ़ के खतरे की बात कही थी। इस मामले को लेकर उन्होंने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा है। उन्होंने बताय कि गंडक बैराज के 36 द्वार हैं। इसमें से 18 द्वार नेपाल में स्थित हैं। भारत में स्थित फाटक में सफाई एवं मरम्मत का काम पूरा हो गया है। जबकि नेपाल के हिस्से में पड़ने वाले बांध का मरम्मत का काम नहीं हो सका है। नेपाल द्वारा उसके मरम्मत काम रोका जा रहा है। ऐसे में बाढ़ की समस्या गंभीर बन सकती है।