बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक गरमाहट बढ़ गई है। जहां सत्ता पक्ष प्रचार प्रसार में लगा है। वहीं विपक्षी दल आपस में ही टकरा रहे हैं। सत्ता पक्ष के ओर से नीतीश कुमार और अमित शाह ने प्रचार के लिए मोर्चा संभाल रखा है। वहीं विपक्ष में बिखराव दिख रहा है। हम पार्टी प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने विपक्ष के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। उन्होंने राजद नेता और लालू यादव के बेटे को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार मानने से मना कर दिया है। ऐसे में विपक्ष सहित राजद के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है।
कोरोना संक्रमण के बीच बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां आरंभ हो गई है। राजद ने लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर रखा है। लेकिन महागठबंधन के नेता और हम पार्टी नेता जीतन राम मांझी ने उन्हें उम्मीदवार मानने से साफ मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के नेता नहीं हो सकते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व विपक्ष में फूट
महागठबंधन में शामिल छोटे दलों ने पिछले दिनों बैठक की थी। उस बैठक में हम पार्टी के अध्यक्ष मांझी, रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी शामिल थे। ये सभी दल वर्तमान में महागठबंधन का हिस्सा हैं। ये सभी पिछले दिनों दो बार बैठक कर चुके हैं। इन्होंने महागठबंधन में समन्वय समिति बनाने को कहा है। जो कि हर निर्णय लेगी। उधर राजद अपनी ही जिद पर अड़ी है।
इससे पहले भी मांझी कई बार इस बात का विरोध कर चुके हैं। मांझी ने कहा कि तेजस्वी अपने सामने किसी को समझते ही नहीं हैं। हम पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि मुख्यमंत्री के चेहरे पर समन्वय समिति ही फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि राजद के वरिष्ठ नेता अपनी जिद पर अड़े हैं। इस कारण महागठबंधन में दरारा है। अगर लालू प्रसाद होते तो ऐसा नहीं होता।
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