बिहार की वर्तमान राजनीतिक स्थिति इतनी नाजुक है कि विपक्षी एकता बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है। इस विषम परिस्थिति में विपक्षी दलों को एकजुट रखने के लिए राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा आगे आए हैं।
बता दें कि लोकसभा चुनाव परिणाम सामने आने के बाद महागठबंधन में शामिल दलों के कुछ नेताओं के व्यक्तिगत बयानों ने आपसी तालमेल को प्रभावित किया था। डॉ. लोहिया की पुण्यतिथि और फिर पिछले दिनों केंद्र एवं राज्य सरकारों के खिलाफ संयुक्त आक्रोश मार्च में विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाया। इन दोनों ही कार्यक्रमों में रालोसपा ने समन्वयक की भूमिका निभाई।
उपेंद्र कुशवाहा की लालू से समन्वरय को लेकर बातचीत हुयी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसी साल सितंबर माह में आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने रांची जेल में बंद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की थी। उस मुलाकात में ही उपेंद्र कुशवाहा को लालू प्रसाद ने डॉ। लोहिया की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में समन्वयक की भूमिका निभाने को कहा था। डॉ। लोहिया कांग्रेस के घोर विरोधी थे। बावजूद इसके 12 अक्टूबर को बापू सभागार में आयोजित महागठबंधन के इस कार्यक्रम में कांग्रेस नेता शामिल हुए। इस कार्यक्रम को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने अन्य दलों के नेताओं को साथ लेकर कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में संवाददाता सम्मेलन भी आयोजित किया था।
आक्रोश मार्च में विपक्ष दिखा एकजुट
विदित हो कि 13 नवंबर को केंद्र एवं राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ महागठबंधन ने आक्रोश मार्च निकाला था। कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी की असहमति, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की नाराजगी और आरजेडी के युवा नेता तेजस्वी यादव की चुप्पी के बावजूद महागठबंधन के सभी दल आक्रोश मार्च में शरीक हुए।
जीतन राम मांझी को मार्च से एक दिन पूर्व ही खुद उपेंद्र कुशवाहा उनके आवास पर पहुंचे थे। मांझी भी कुशवाहा के बात का मान रखते हुए अपने सहयोगियों के साथ आक्रोश मार्च में शामिल हुए। इस आक्रोश मार्च की सबसे खास बात यह रही कि दो वाम दलों- भारतीय कम्यु निस्टा पार्टी और मार्क्स वादी कम्युानिस्टे पार्टी के नेता भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
अहंकार को दरकिनार कर दिखानी होगी बड़प्पन
एकजुटता की राह में आगे की चुनौतियों पर को बताते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि विधानसभा चुनाव नजदीक है और ऐसे में विपक्षी दलों को जनता की अपेक्षा के अनुरूप एकजुट होना जरुरी है। यह काम कतई आसान नहीं है, क्योंकि विभिन्न दलों के बीच सीट बंटवारा भी होना है। इस सब के बीच उन्होंने आगे कहा कि सबसे बड़ी चुनौती तो विपक्षी एकता को रोकने के लिए होने वाली साजिश से निपटना है। उन्होंने कहा कि नेताओं को व्यक्तिगत बयान देने और अहंकार से परहेज करना होगा। मैंने अपना अहंकार पूरी तरह से त्याग दिया हूं।