Thursday, November 21, 2024
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एनडीए में क्या उतना महत्व मिल रहा है?

बीते 4 अगस्त को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पटना विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। इसी मंच से संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वह दर्द एक बार फिर छलक आया था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरे मंच से सीएम नीतीश की खुले मंच से की गई उस मांग को खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिए जाने की बात कही थी !

वाकया 14 अक्तूबर 2017 की है जब पीएम मोदी पटना आए थे। राजनीतिक जानकारों के अनुसार यह महज मांग खारिज किए जाने की बात नहीं, बल्कि इससे बढ़कर नीतीश कुमार को ही महत्व नहीं देने की बात है। आइये हम ऐसी ही कुछ प्रकरणों पर नजर डालते हैं जब केंद्र सरकार ने नीतीश कुमार को दरकिनार किया !

धारा 370 खत्म करने पर नहीं ली गई राय

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को धारा 370 के खंड एक को छोड़कर बाकी सभी को निष्प्रभावी करने का संकल्प राज्यसभा में प्रस्तुत किया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही इसे निष्प्रभावी कर दिया गया। वहीं, इसी दिन जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन बिल भी पेश किया गया। जेडीयू ने इस बिल का यह कहते हुए वॉक आउट कर दिया कि इसपर न तो सहमति बनाने की कोशिश की गई और न ही उनसे कोई राय ली गई। जाहिर है यहां भी सीएम नीतीश को केंद्र सरकार ने महत्व नहीं दिया !

तीन तलाक बिल पर भी नहीं पूछा गया

जेडीयू बार-बार कहती रही कि तीन तलाक को अपराध घोषित करने वाले बिल पर बातचीत करने की जरूरत है, लेकिन केंद्र सरकार ने जेडीयू की इस मांग को भाव नहीं दिया। बीते 30 जुलाई को तीन तलाक बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। यहां भी जेडीयू ने विरोध किया और वाक आउट किया, लेकिन यह साफ रहा कि केंद्र ने वही किया जो सरकार ने पहले से तय कर रखा था। जाहिर है इस मुद्दे पर नीतीश कुमार की पार्टी की मांग को तवज्जो नहीं दी गई और सलाह-मशविरा भी नहीं किया !

मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया गया

30 मई को जब पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने शपथ ली तो जेडीयू इसमें शामिल नहीं हुई। जानकारी आई कि बीजेपी अपने सहयोगी दलों की सांकेतिक भागीदारी के तहत एक पद देना चाह रही थी, लेकिन जेडीयू तीन सीटों पर अड़ी थी। हालांकि बाद में बैकफुट पर आई और दो पद पर सहमति दी। बावजूद इसके जेडीयू की मांग खारिज कर दी गई। जाहिर है यहां भी केंद्र की मोदी सरकार ने नीतीश की मांग खारिज कर दी। सबसे खास ये रहा कि नीतीश की नाराजगी की भी बात कही गई, लेकिन बीजेपी ने इसे भाव नहीं दिया !

विशेष राज्य के दर्जे की मांग नहीं मानी

वर्ष 2015 के चंद महीनों को छोड़ दें तो वर्ष 2005 से ही बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है। तब से ही नीतीश कुमार ने विशेष राज्य के मुद्दे को अपना मुख्य एजेंडा बनाया है। माना जा रहा था कि एनडीए की सरकार अगर केंद्र और राज्य, दोनों जगहों पर होगी तो ये मांग मान ली जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। केंद्र ने साफ कर दिया है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना मुमकिन नहीं है, जबकि जेडीयू अभी भी इस मांग पर अड़ी हुई है। हालांकि केंद्र ने विशेष पैकेज देने की बात जरूर कही है। जाहिर है केंद्र ने नीतीश की मांग नहीं मानी है।

Source : R N Ravi Facebook Wall

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