“ठीके है” वाले पोस्टर पर आम जनता और राजनितिक गलियारों में उठ रहे सवालों के बाद जेडीयू (JDU) ने अपने चुनावी नारे में हल्का सा बदलाव कर लिया है। जनता दाल यूनाइटेड के नीतीश कुमार के ऊपर उठ रही सवालों के बीच जदयू को यह बदलाव करना पड़ा है। पहले JDU ने नीतीश कुमार को लेकर जो नारा दिया था वो था “क्यों करें विचार, जब ठीके तो है नीतीश कुमार” लेकिन अब जो नारा दिया गया है वो है “क्यों करें विचार जब है ही नीतीश कुमार“।
नीतीश कुमार पर निशाना
पूर्व में जारी पोस्टर में “ठीके है” शब्द का उपयोग किया गया था। इस शब्द पर प्रहार करते हुए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कड़ा हमला करते हुए कहा था कि ठीक है, का मतलब औसत होता है। सत्तासीन जदयू द्वारा ये मान लिया गया है कि नीतीश कुमार एक औसत नेता हैं जो कि सुशासन की गढ़ी हुई छवि से कतई मेल नही खाती हैं। साथ ही तेजस्वी यादव ने राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर कड़ा प्रहार किया था। तत्पश्चात यह चर्चा जोरो से चल पड़ी थी कि सुशासन जदयू के कार्यकर्ताओं द्वारा गढ़ा गया एक चुनावी हथकंडा भर थी।
बिहार में रोज़ हत्या, बलात्कार, लूटपाट की थोक में आती खबरों का यह आलम है कि हर अपराध का जघन्य कांड अब आम और स्वाभाविक बन गया है। अफसरशाही तो इस चरम पर पहुँच गया है कि बाबू लोग अब खुलेआम रेट कार्ड लगाकर "सुशासन"-प्रदत्त मूल अधिकार की भांति छाती ठोक घूस व कमीशन वसूल कर रहे हैं।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 31, 2019
सुशील कुमार मोदी का पलटवार
साथ ही भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने भी चुनाव से एक वर्ष पूर्व विकास कार्यों में तेजी लाने से इतर चुनावी तैयारियों के लिए जदयू को आड़े हाथों लिया था। सुशील कुमार मोदी ने स्पष्ट कहा था कि सत्तासीन होने के कारण हमारा दायित्व चुनाव से अधिक राज्य का विकास होना चाहिए।
राज्य में विधानसभा के चुनाव होने में जब एक साल से ज्यादा वक्त बचा है, तब एनडीए के लिए यह चुनावी मोड में आने का नहीं, कार्यकाल की शेष अवधि में विकास के ज्यादा से ज्यादा काम करने का समय है।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) September 3, 2019
हमारे यहां नेतृत्व को लेकर न कोई संशय है, न कोई अन्तर्कलह। pic.twitter.com/jqNylBlvF0
पलटवार में राजद द्वारा भी चुनावी पोस्टर जारी कर जदयू की पोल खोलती हुई तेजस्वी यादव की तस्वीर युक्त एक पोस्टर जारी किया गया था। Twitter पोस्ट के माध्यम से भी राजद ने सात्तापक्ष पर जोरदार हमला बोला था।
पुलिस से डरने की अब रह गई है क्या दरकार
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) September 3, 2019
जब करे मन मार रहे गोली दो-चार
ठीके तो है नीतीश कुमार? pic.twitter.com/vz4QW9vlFW
नए पोस्टर पर घमासान
ठेठ बिहारी जुबान में तैयार, नए नारे के साथ बना यह पोस्टर अब जेडीयू के दफ्तर समेत पटना की सड़कों पर दिखाई पड़ने लगे हैं। राजनीतिक हल्के में इस स्लोगन की व्याख्या एक बार फिर से अलग-अलग एंगल से शुरू हो गई है। दरअसल पहले जो नारा बनाया गया था उसको लेकर विपक्ष के लोगों ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा था और साथ ही सोशल मीडिया पर एक खास शब्द “ठीके” को लेकर सवाल खड़े हुए थे। ज्ञात हो बिहार में ठीके शब्द का उपयोग अंतिम विकल्प के तौर पर होता है ऐसे में विपक्ष ने इस शब्द को हाथों हाथ लेते हुए सवाल खड़े किए थे।
पिछले एक सप्ताह से जदयू के नए पोस्टर को लेकर बिहार में काफी घमासान मचा हुआ था। सियासी गलियारों से रोजाना सीएम नीतीश के पोस्टर और जदयू के नए स्लोगन “क्यों करें विचार ठीके तो हैं नीतीश कुमार” को लेकर निशाना साधा जा रहा था। इसको लेकर जदयू ने काफी विचार किया और अब पार्टी ने अपना पोस्टर ही बदल दिया है। जदयू ने अपने स्लोगन में भी सुधार कर दिया है।
तेजस्वी के प्रहार से विशेषज्ञ राजनीतिज्ञ भी हुए हलकान
राजद सहित तमाम विपक्षी दल इस बदलाव को भुनाने में जुट गई है। विपक्ष का मानना हैं कि तेजतर्रार तेजस्वी के कड़े रुख के कारण ही जदयू (JDU) को अपने पोस्टर में बदलाव करना पड़ा है। विपक्ष 2020 के चुनाव के गहमागहमी के बीच इसे अपनी शुरुआती जीत मान रही है। विश्लेषकों का मानना हैं कि हाल के दिनों में अनेक ऐसी घटनाएँ हुई है जोकि नीतीश नीत जदयू द्वारा गढ़ी गई सुशासन की छवि से कतई मेल नही खाती है। साथ ही जदयू द्वारा अपने सर्वोच नेता को औसत मान लेने से भी आमजन में नीतीश कुमार के प्रति अलगाव प्रतीत हो रही है।
खैर JDU ने तो अपना पोस्टर बदल लिए है पर क्या इस बदलाव से बिहार में हो रहे अपराध, पलायन, कुव्यवस्था और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी? क्या विकास कार्यो में तेजी लाने से इतर पोस्टर बदल लेने से जनता के मन के विचार को बदला जा सकता है? फिलहाल यह फैसला तो राज्य के आमजन को ही तय करना है कि “कितना ठीक हैं नितीश कुमार या कब तक है NDA की सरकार“।