बिहार में वायु प्रदूषण एक विकट समस्या है, और यह अधिकतर शहरों में प्रदूषण के स्तरों में वृद्धि का कारण बन चुका है। राजधानी पटना और मुजफ्फरपुर भी इन प्रदूषित शहरों में शामिल हैं, जो वायु प्रदूषण में देश के शीर्ष शहरों में शामिल हैं। इन शहरों में बढ़ते प्रदूषण स्तरों का नियंत्रण करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए और कदम उठाने होंगे।
रेसपिरेर लिविंग साइंसेज की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक है। इस रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि पटना 99.7 दूसरे स्थान पर है, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में यहां की वायुमंडली में 24 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।
Here’s a list of the top 10 polluted cities in India from the larger pool of 131 cities that fall under the National Clean Air Programme. Excerpted from a report co-authored with @ClimateTrendsIN pic.twitter.com/42qsQo9iLf
— Respirer Living Sciences (@respirerIN) October 5, 2023
बिहार में वायु प्रदूषण के बढ़ते हुए कारण
बिहार में वायु प्रदूषण के कारणों में वाहनों की अत्यधिक वृद्धि, उद्योगों की वृद्धि, और बाह्य प्रकार की ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल में वृद्धि शामिल हैं। इसके अलावा, जलवायु बनामन और निर्माण स्थलों से उठने वाली धूल भी प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। इन सब कारणों के संयोजन से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।
बिहार में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं:
- वाहनों से निकलने वाली एमिशन्स: वाहनों से निकलने वाली एमिशन्स वायुमंडली में प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।
- उद्योगों से निकलने वाली एमिशन्स: उद्योगों से निकलने वाली एमिशन्स भी वायु प्रदूषण में योगदान करती हैं।
- जलवायु बनामन: फसल की बट्टी और लकड़ी जलाने के कारण भी वायु प्रदूषण बढ़ता है।
- निर्माण स्थलों और कच्चे सड़कों से उठने वाली धूल: निर्माण स्थलों और कच्चे सड़कों से उठने वाली धूल भी वायु प्रदूषण में योगदान करती है।
सरकार ने बिहार में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न पहलूओं पर ध्यान दिया जा रहा है। यहाँ तक कि नई औद्योगिक संयंत्रों में पर्यावरण के मानकों का पालन करने की भी दिशा में कदम उठाया जा रहा है। नई सड़कों की निर्माण में पर्यावरणीय मितिगत का ध्यान रखते हुए और सख्त वाहन नियमों का पालन करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, सरकारी स्तर पर वायु प्रदूषण के खतरों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए अनेक अपने पहलू चलाए जा रहे हैं।
भारत के 10 सबसे प्रदूषित शहर
सबसे प्रदूषित शहर | पीएम – 2.5 |
---|---|
दिल्ली | 100.1 |
पटना | 99.7 |
मुजफ्फरपुर | 95.4 |
फरीदाबाद | 89 |
नोएडा | 79.1 |
गाजियाबाद | 78.3 |
मेरठ | 76.9 |
नलबाडी | 75.6 |
आसनसोल | 74 |
ग्वालियर | 71.8 |
पीएम 2.5 में पाए जाते हैं फेफड़ों में प्रवेश करने वाले जहरीले कण
पीएम 2.5 के बारीक और जहरीले कण वायुमंडली में होते हैं जो फेफड़ों और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं। इन कणों का हमारे श्वसन तंत्र पर गहरा असर होता है और इससे ह्रदय रोग, स्ट्रोक और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकता है। पीएम 2.5 डाटा हवा में सूक्ष्म कणों की मात्रा का मापन करता है। इस डेटा का उपयोग वायु प्रदूषण के प्रभावों का आकलन करने के लिए किया जाता है। यह डेटा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) का भाग है, जिसका उद्देश्य 2026 तक भारतीय शहरों में पीएम 2.5 और पीएम 10 सांद्रता को 2017 के स्तर के 40 प्रतिशत तक कम करना है।
वायु प्रदूषण से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे:
- हृदय रोग
- स्ट्रोक
- श्वासदंश, जैसे दमा और ब्रोंकाइटिस
- फेफड़े का कैंसर
- अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे पूर्ववर्ती मौत, कम वजन वाले नवजात, और बच्चों में मानसिक अंश
बिहार में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आम जनता का योगदान भी महत्वपूर्ण है। लोगों को स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने, और पेड़-पौधों का रोपण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, स्थानीय निकायों को भी वायु प्रदूषण कम करने के लिए उद्योग करना चाहिए और नई तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।