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बिहार जातिगत जनगणना: जातियों के आधार पर समाज का विश्लेषण

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बिहार जातिगत जनगणना(Bihar caste census) का आंकड़ा जारी किया गया है। इस जनगणना में समाज की विभिन्न जातियों और समूहों की आबादी को मापा गया है। इसके द्वारा सरकार को जातियों के आधार पर विभाजन और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति की जांच करने में मदद मिलेगी। बिहार के मुख्य सचिव ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बिहार जाति आधारित गणना 2022 की पुस्तिका का विमोचन किया। इस पुस्तक के माध्यम से बिहार की जातिगत गणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए गए हैं।

जातिगत जनगणना बिहार सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट 

यह जनगणना बिहार सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत आयोजित की गई, जो सामाजिक समानता और विकास के लिए नीतीश कुमार की नेतृत्व में काम कर रही है। इससे सामाजिक और आर्थिक आधारित नीतियों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। इस जनगणना का लक्ष्य विभिन्न समाजिक वर्गों की आबादी और उनकी समस्याओं को विश्लेषण करना है, ताकि सरकार उनके विकास के लिए उचित कदम उठा सके।

Jati janganna report

इस जनगणना के तहत पिछड़ा वर्ग की आबादी का अध्ययन किया गया है, जिससे उनकी सामाजिक स्थिति के बारे में समय-समय पर जानकारी मिलेगी। इसके साथ ही, अनुसूचित जाति के लोगों की आबादी का भी विश्लेषण किया गया है, जिससे उनकी समस्याओं और आवश्यकताओं का सही अनुमान लगाया जा सकेगा। यह जनगणना बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक न्याय और समाजिक संविचार के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी।

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बिहार जातिगत जनगणना के आंकड़े

इस गणना के अनुसार, बिहार की कुल आबादी 13,07,25,310 है, जिसमें पिछड़ा वर्ग 3,54,63,936, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 4,70,80,514, अनुसूचित जाति 2,56,89,820, अनुसूचित जनजाति 21,99,361 और 2,02,91,679 अनारक्षित शामिल हैं।

बिहार सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बिहार में

  • यादव- 14.27%
  • दुसाध, धारी, धरही- 5.31%
  • मोची, चमार, रविदास- 5.26%
  • कुशवाह (कोइरी)- 4.21%
  • ब्राह्मण- 3.66%
  • मोमिन- 3.55%
  • राजपूत- 3.45%
  • शेख- 3.82%
  • मुसहर- 3.09%
  • कुर्मी- 2.88%
  • भूमिहार- 2.87%
  • तेली- 2.81%
  • मल्लाह- 2.61%
  • बनिया- 2.32%
  • कानू- 2.21%
  • धानुक- 2.14%
  • नोनिया- 1.91%
  • सुरजापुरी मुस्लिम- 1.87%
  • पान, सवासी, पानर- 1.70%
  • चन्द्रवंशी- 1.65%
  • नाई- 1.59%
  • बढ़ई- 1.45%
  • धुनिया- 1.43%
  • प्रजापति- 1.40%
  • कुंजरा- 1.40%

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सरकार के नीति निर्माण में मदद, जितनी आबादी उतनी भागीदारी

इस साल 7 जनवरी से जातिगत जनगणना का पहला चरण आरंभ हुआ था, जिसमें लोगों के सामाजिक और आर्थिक स्थिति के पूर्णत: अनुसार आंकड़े जाए गए थे। यह पहला चरण 21 जनवरी को समाप्त हुआ था। इससे समझा जा रहा है कि इस जनगणना से समाज की व्यापक चित्रण की प्रारंभिक जानकारी प्राप्त हो गई है, जो सरकार को नीति निर्माण में मदद करेगी।

प्रथम चरण में मकानों की गिनती की गई थी, जिसे 21 जनवरी 2023 तक पूरा कर लिया गया था। वहीं, 15 अप्रैल से दूसरा चरण की जनगणना की शुरुआत हुई और इसे 15 मई तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, मामला कोर्ट में चला गया और इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने गणना पर रोक लगा दी थी। बाद में पटना हाईकोर्ट ने ही जाति आधारित गणना को हरी झंडी दी।

दूसरे चरण में, परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय समेत अन्य जानकारियां जुटाई गईं। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया, लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। यह प्रक्रिया लोगों के समाजिक और आर्थिक स्थिति के विश्लेषण में सरकार की मदद करने में महत्वपूर्ण है और इसके माध्यम से विभिन्न जातियों और समूहों की आबादी को अच्छी तरह से समझा जा सकेगा।

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