नीदरलैंड की कंपनी को मुंबई की तर्ज पर राजधानी पटना में ट्रैफिक सिग्नल लगाने का काम दिया गया। लेकिन, यहां सिग्नल लगाने और उखाड़ने का खेल शुरू हो गया। शहर के 97 चौराहों पर सिग्नल लगाए गए, लेकिन कहीं ट्रैफिक दबाव नहीं होने पर सिग्नल बंद कर दिए गए तो बेली रोड पर यू-टर्न के नाम पर पांच सिग्नल उखाड़ दिए गए। मनमाने ढंग से लगे सिग्नल को बंद करने और उखाड़ने में लाखों रुपए बर्बाद हो गए।
हद तो यह है कि पहले सेंसर से सिग्नल काम करने का दावा किया गया, जो लगे नहीं। अब टाइमर लगाने के नाम पर लाखों रुपये खर्च करने की बात की जा रही है। फिलहाल, दो वर्षो में करीब 19 सिग्नल बंद हो चुके है और टाइमर कुछ चौराहों पर ही लगे। कुछ सिग्नल में तकनीकी खराबी आ चुकी है, जिसकी मरम्मत कराने के लिए संबंधित कंपनी का नवीनीकरण तक नहीं किया गया।
ट्रैफिक सिग्नल पर नहीं लगाए जा सके टाइमर
पटना में ट्रैफिक सिग्नल की देखरेख और कंट्रोल रूम में मॉनीटरिंग करने के लिए बुडको ने जिस कंपनी को जिम्मा दिया, उसका 30 दिसंबर 2018 से ही कांट्रैक्ट खत्म हो गया। एजेंसी के कर्मी वहीं काम करते है, जिसमें खर्च मामूली हो। देखरेख के अभाव में दस से अधिक ट्रैफिक सिग्नल खराब है। ट्रैफिक पुलिस शहर के 50 प्रमुख चौराहों पर लगे सिग्नल में टाइमर सेट करने का काम शुरू किया। अब सिर्फ डाकबंगला चौराहा, कोतवाली टी, रामनगर मोड़ सहित छह प्रमुख चौराहों पर टाइमर लग सके, जबकि अन्य चौराहों पर काम शुरू कब होगा विभाग को भी नहीं पता।
सिग्नल के नाम पर बर्बाद कर दिए आठ करोड़ रुपये
वर्ष 2015 में बुडको ने नीरदलैंड कंपनी को 24.45 करोड़ की लागत से शहर के 97 स्थानों पर सिग्नल लगाने का काम दिया। एक सिग्नल पर करीब 25 लाख रुपये खर्च किए गए। योजना के तहत 72 स्थानों पर ऑटोमेटिक और 25 स्थानों पर फिक्स सिग्नल लाइट लगाने का काम शुरू हुआ। एक से डेढ़ साल में काम पूरा हो गया। निगरानी के लिए कंट्रोल रूम भी बनाए गए और 160 सीसीटीवी कैमरे भी जोड़े गए। इसकी मॉनीटरिंग और मरम्मत का काम भी एआरएस ट्रैफिक कंपनी को सौंपा गया।
लेकिन, शहर में अभी लोग ट्रैफिक सिग्नल के नियम का पूरी तरह फॉलो भी शुरू नहीं किए कि उखाड़ने का भी शुरू हो गया। ट्रैफिक पुलिस की मानें तो सिग्नल लगने के दो वर्ष बाद ही 14 सिग्नल को इस वजह से बंद कर दिए गए, क्योंकि वहां ट्रैफिक का दबाव नहीं था। इसके बाद बेली रोड पर यू-टर्न बनाने के दौरान पांच ट्रैफिक सिग्नल को उखाड़ कर कबाड़ में रख दिय गया। कुल 19 सिग्नल हटाए गए, इससे करीब आठ करोड़ रुपये बर्बाद कर हो गए।
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अब हटाए गए सिग्नल कहां हैं और कहां लगाए जाएंगे, इसकी जानकारी विभाग के जिम्मेदार अफसर से लेकर देखरेख करने वाली एजेंसी को भी नहीं है। बोरिंग रोड पर दो जगह तीन सौ मीटर के अंदर दो जगह सिग्नल लगाया गया है।
नहीं कट रहा ई-चालान
कैमरे खराब होने से नहीं कट रहा ई-चालान एजेंसी से कांट्रेक्ट खत्म होने की वजह से ट्रैफिक पुलिस के करीब सभी कैमरे बंद हो चुके है। सूत्रों की मानें तो पिछले तीन सप्ताह से सिग्नल और चौराहों पर लगे ट्रैफिक पुलिस के करीब 160 कैमरे काम नहीं कर रहे है। ऐसे में ई-चालान काटने में भी पुलिस को परेशानी हो रही है।
स्रोत- जागरण