पटना। बिहार के पूर्व मंत्री और राजद नेता श्याम रजक ने राज्य में शिक्षा की बदहाल स्थिति होने का आरोप लगाते हुये कहा कि सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है परंतु धरातल पर स्थिति दयनीय है। श्री रजक ने दावा किया कि बिहार में अनुसूचित जाति वर्ग की साक्षरता दर सबसे कम 48 प्रतिशत है।
राजद नेता श्याम रजक ने आरोप लगाया कि 10वीं कक्षा से पहले पढ़ाई छोड़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। दसवीं तक ड्रॉप ऑउट बच्चों की संख्या कुल छात्र-छात्राओं के तकरीबन 48 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति में यह आंकड़ा 58 प्रतिशत का है। स्नातक में केवल 9.3 प्रतिशत अनुसूचित जाति के बच्चे ही दाखिला ले पाते हैं।
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उन्होंने सवाल किया कि अगर सरकार सच में इतना काम कर रही है ऐसी स्थिति क्यूं है। यह भी आरोप मढ़ा कि नई शिक्षा नीति की आड़ में सरकार शिक्षा का निजीकरण के साथ बाजारीकरण कर अपने निजी एजेंडे को साधने का प्रयास कर रही है। यह गरीब,दलित व पिछड़े के बच्चों को उच्च शिक्षा,व्यवसायिक शिक्षा, प्रौद्योगिकी शिक्षा और प्रोफेशनल शिक्षा से वंचित रखने की एक साजिश है। जदयू के मंत्रियों द्वारा किए गए प्रेस कान्फ्रेंस के जवाब मे उन्होंने आरोप लगाया कि दलित को दो बार विधानसभा अध्यक्ष बनाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोई कृपा नहीं कि बल्कि केवल रबर स्टम्प की भांति इस्तेमाल किया।