आज कि वर्तमान राजनीती और राजनेताओ को देखकर लोग राजनीती से नफरत करते हैं लेकिन इसी राजनीती के इस भूल भुलैया में एक ऐसा भी चेहरा शामिल था जिससे पुरे देश को एक आशा थी, एक उम्मीद था। जी हाँ हम बात कर रहे हैं अरुण जेटली की, जिनका आज 66 वर्ष के उम्र में दिल्ली में स्वर्गवास हो गया। एक ऐसे नेता जो राजनीती में रहते हुए भी अपने बेदाग छवि और साफ़-सुथरे राजनीती के लिए जाने जाते थे। राजनीती में रहते हुए अरुण जेटली ने कई अमिट छाप छोड़े हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी कि सरकारों के मत्रिमंडल में सबसे सभ्य और अदब से पेश आनेवाले मंत्री के तौर पर सबसे पहले अरुण जेटली का ही नाम आता है।
आइये नज़र डालते हैं अरुण जेटली के जीवन पर
बतौर स्टूडेंट लीडर: दिल्ली में जन्मे अरुण जेटली ने दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से कॉमर्स कि पढाई करने के बाद लॉ कि पढाई की और बाद में वो वकील बने। कॉलेज में जेटली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के स्टूडेंट लीडर हुआ करते थे। एवीवीपी से जुड़ने के बाद 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के नेता भी चुने गए। नौजवानो से जुड़े मुद्दे और राजनीती कि गहरी समझ के चलते उस ज़माने के कई नाम चीन हस्तियों के संपर्क में आए।
इमरजेंसी के दौरान अरुण जेटली एक प्रमुख नेता के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहे। इसी आपातकाल के दौरान 19 महीने उन्हें जेल में गुजारनी पड़ी थी। इंदिरा गाँधी कि सरकार के खिलाफ जय प्रकाश नारायण ने आंदोलन छेड़ रखा था युवा अरुण जेटली भी उस आंदोलन से जुड़ गए और बहुत ही कम समय में उनका नाम पुरे भारत में फ़ैल गया।
बोफोर्स मामले में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका
सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट और देश के कई अलग-अलग हाईकोर्ट में बतौर वकील अरुण जेटली 1987 से कार्यरत रहे थे। अपनी वक्तव्य और बहस करने के अनोखे अंदाज़ के चलते वह सभी जगह एक सफल वकील के तौर पर जाने जाने लगे। वकील के तौर पर उनकी लोकप्रियता पुरे देश में फैल गई।
वीपी सिंह कि सरकार ने अरुण जेटली को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया था। 1989 में बोफोर्स घोटाले कि जांच कि जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया था, जिसका सारा पेपरवर्क अरुण जेटली जी ने ही किया था। बोफोर्स घोटाले में उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी का नाम उछलने से उनकी सरकार गिर गई थी।
नहीं रहे पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली
अरुण जेटली के वकालत के क्लाइंट्स में जनता दल के शरद यादव से लेकर कांग्रेस के माधव राव सिंधिया और भाजपा के लाल कृष्ण अडवाणी तक शामिल थे। उन्होंने “भारत में क्राइम और करप्शन” पर अपना प्रेजेंटेशन भी दिया था। पेप्सी और कोका कोला जैसी मल्टी नेशनल कम्पनियों ने उन्हें अपना वकील बनाया था।
अरुण जेटली का शानदार राजनितिक सफर
1999 में अटल बिहारी वाजपयी की सरकार में इनफार्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग मंत्री की ज़िम्मेदारी संभाली थी जेटली ने। रामजेठमलानी के इस्तीफा देने के बाद अटल जी ने अरुण जेटली को कानून मंत्रालय की ज़िम्मेदारी भी सौंप दी थी । 2002 में वो भाजपा के जनरल सेक्रेटरी और नेशनल स्पोक्स पर्सन बनाये गए। बाद में राज्यसभा में विपक्ष के नेता बनने पर उन्होंने महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया। साथ ही उन्होंने अन्ना हज़ारे के जन लोकपाल बिल का भी पुरजोर समर्थन किया था।
2014 में भाजपा ने उन्हें अमृतसर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन दुर्भाग्य से जेटली ये चुनाव अमरेंदर सिंह से हार गए।2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तब नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार में अरुण जेटली को वित्त मंत्रालय के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय की भी ज़िम्मेदारी सौंपी थी।
जीएसटी के जननायक
प्रखर वक्ता एवं कुशल राजनेता अरुण जेटली को देश में अब तक के सबसे बड़े आर्थिक सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के शिल्पकार के रुप में हमेशा याद किया जाएगा। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री के रुप में पांच आम बजट पेश करने वाले जेटली ने अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे ले जाने के लिए कई कदम उठाये।
एक जुलाई 2017 की मध्यरात्रि को संसद के केन्द्रीय कक्ष में अब तक के देश के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार के रुप में माने जाने वाले जीएसटी को लागू किया तो इसे लेकर काफी सवाल उठाए गए, किंतु एक मंझे हुए आर्थिक विशेषज्ञ के रुप में अपने शेष दो वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने इसके रास्ते में आई सभी बाधाओं को दूर करने के साथ ही इसे सरल बनाने के लिए कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ी।
जेटली ने जीएसटी परिषद की 36 बैठकों में से 32 की अध्यक्षता की। इन बैठकों में 900 से अधिक फैसले लिए गए और एक भी फैसलों में मतदान करवाने की आवश्यकता नहीं हुई, जबकि जीएसटी परिषद में पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल जैसे विपक्षी शासित राज्यों के सदस्य थे।
जेटली की एक और सफलता IBC थी, जिसने बैंकों के लिए रिकवरी में प्रतिमान बदलाव लाया। उन्होंने संकल्प के लिए समय सीमा का प्रस्ताव रखा, जो बैंकों को बैलेंस शीट को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है।
Editor – मानस दिवेदी