Sunday, December 22, 2024
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एनसीआरबी सम्बन्धी आंकड़ों पर बिहार के पुलिस अधिकारियों ने रखा अपना पक्ष

राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा 2018 के अपराध संबंधी आंकड़े जारी करने के बाद रविवार को बिहार पुलिस के आलाधिकारियों ने राज्य का पक्ष रखा और कहा कि 2017 के मुकाबले 2018 में बिहार में अपराध में कमी आई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में बिहार में अपराध दर घटकर 222.1 थी। इस आधार पर बिहार का देश में 23वां स्थान है। इसके पहले 2017 में बिहार में अपराध दर 223.9 थी और बिहार का देश में 23वां स्थान था। ये आंकड़े बताते हैं कि 2017 के मुकाबले 2018 में अपराध में कमी आई है।

रविवार को सीआइडी के एडीजी विनय कुमार और एडीजी विधि-व्यवस्था (अतिरिक्त प्रभार मुख्यालय) अमित कुमार ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि राज्यों की जनसंख्या में अंतर होता है। ऐसी स्थिति में आपराधिक घटनाओं की संख्या के आधार पर आंकड़े जारी करना व्यावहारिक नहीं। इसलिए अपराध अभिलेख ब्यूरो ने प्रति लाख जनसंख्या की दर पर होने वाले अपराध के आधार पर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े जारी किए हैं।

2017 के मुकाबले 2018 में बेहतर हुआ बिहार

विनय कुमार ने कहा कि भारतीय दंड विधान के तहत दर्ज कांड के आधार पर 2017 में बिहार में अपराध दर 171.2 थी व स्थान 22वां था। जबकि 2018 में 166.4 अपराध दर रहने के बाद भी राज्य का स्थान 22वां ही है। आंकड़े बता रहे हैं कि इस अवधि में दंड विधान के तहत दर्ज मामलों में कमी आई है। उन्होंने इसी तरह देखिए महिलाओं के विरुद्ध अपराध में 2017 में 28.8 अपराध दर के साथ बिहार 28वें स्थान पर था। इस शीर्ष में राष्ट्रीय औसत 58.8 है। 2018 में 29.8 अपराध दर के साथ राज्य का 29वां स्थान है। 2018 में महिला के विरुद्ध अपराध में राष्ट्रीय औसत की तुलना में राज्य की अपराध दर लगभग आधी है और 2017 की तुलना में बिहार के स्थान में एक स्थान का सुधार भी हुआ है। दोनों अधिकारियों ने बताया कि दुष्कर्म के मामले में 2017 में बिहार 1.2 अपराध के साथ 31वें स्थान पर था। 2018 में 1.1 अपराध के साथ बिहार 33वें स्थान पर पहुंच गया है। राष्ट्रीय औसत 5.2 की है।

शराबबंदी के बाद दंगा और महिला अपराध में आई कमी

पुलिस मुख्यालय का दावा है कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी के बाद से दंगा और महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध में कमी आई है। शराब पीकर सार्वजनिक स्थान पर हंगामा करने के मामले में भी कमी आई है। 2015 में दंगे के 13311 कांड, 2016 में 11617, 2017 में 11698 कांड और 2018 में 10276 कांड हुए। 2017 की तुलना में ऐसे मामलों में करीब 39 प्रतिशत की कमी आई है।

पटना के अपराध आंकड़ों की होगी समीक्षा

अपराध अभिलेख ब्यूरो के अनुसार देश के 19 महानगरों में हत्या की घटना में पटना को टॉप पर दिखाया गया है। इन आंकड़ों में 2018 में पटना में 91 हत्याएं हुईं। जिसका प्रतिशत करीब 4.4 है। एडीजी विधि व्यवस्था और एडीजी सीआइडी ने कहा कि बिहार पुलिस इन आंकड़ों का विश्लेषण करेगी। दोनों अधिकारियों ने कहा कि पिछले वर्ष एनसीआरबी ने पटना के जो आंकड़े जारी किए थे उनमें कुछ गड़बड़ हो गई थी। पटना के आंकड़ों का मतलब है नगर निगम की चौहद्दी के अंतर्गत आने वाले थानों में दर्ज किए जाने वाले मामले। लेकिन एनसीआरबी ने जो आंकड़े जारी किए वे पटना और आसपास के थे।

2017 के मुकाबले 2018 में बेहतर दिखाकर भले ही अधिकारी अपना पक्ष रख रहे हों परन्तु राज्य की चरमराती लॉ एंड आर्डर ने बिहार में सुशाशन की पोल खोल दी है। अपराध होने की श्रेणी में एक पायदान सुधार होने के बावजूद देश में अब भी बिहार की स्थिति जंगलराज से काम नहीं दिखती है।

आइए देखते हैं बिहार किस अपराध श्रेणी में किस स्थान पर है:

अपराध अपराध दर बिहार का स्थान
संघेय अपराध 222.1 23वां
आइपीसी अपराध 166.4 22वां
हत्या 2.5 11वां
डकैती 0.2 16वां
लूट 1.5 17वां
गृह भेदन 3.9 29वां
चोरी 26.1 15वां
सामान्य अपहरण 8.4 15वां
महिला अपराध 29.8 29वां
दुष्कर्म 1.1 33वां
दंगा 8.4 4था
महिला पर अपराध 0.2 34वां
यौन हिंसा 0.2 36वां
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