देशभर के 51 शक्तिपीठों में एक बड़ी पटनदेवी का भवन जल्द ही नए लुक में दिखने वाला है। पटनदेवी मंदिर का कायाकल्प मकराना के संगमरमर से किया जा रहा है। मंदिर के पुनर्निर्माण का बजट कई करोड़ का है। महापौर सीता साहू ने बताया कि बड़ी पटनदेवी के गर्भगृह को तोड़ने का काम जारी है। 51 फीट ऊंचे मंदिर में दो गेट का निर्माण किया जा रहा है। 1.90 करोड़ की लागत से मंदिर से जुड़ी सड़क, लाइट और आसपास के क्षेत्र का सुंदरीकरण किया जा रहा है।
शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र है बड़ी पटनदेवी
भारतवर्ष के 51 शक्तिपीठों में नगर रक्षिका के रूप में पश्चिम में स्थित बड़ी पटनदेवी की पूजा आदिकाल से की जाती रही है। नवरात्र और अन्य दिनों में यहां भक्त मां के दरबार में श्रद्धा और भक्ति से आराधना करते हैं। बड़ी पटनदेवी मंदिर के महंत विजय शंकर गिरि बताते हैं कि सैकड़ों वर्ष प्राचीन इस मंदिर में सती की दक्षिण जंघा कटकर गिरी थी। यहां भगवती की रूप सर्वानंदकरी तथा भैरव व्योमकेश हैं। मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ा गड्ढा है जिसे पटनदेवी खंदा कहा जाता है। यहां सैकड़ों वर्ष पहले से वैदिक पूजा सार्वजनिक रूप से होती आ रही है।
महंत बताते हैं कि दुर्गा पूजा के दौरान नगर रक्षिका नगर भ्रमण भी करती हैं। यहां के हवन कुंड में लाखों भक्त हवन करते हैं। यह भी एक आश्चर्य है कि हवन कुंड से उठने वाली ज्वाला शांत होने के बाद विभूति हवन कुंड में ही समाहित हो जाती है। मंदिर के बीच शेर दर्शनीय है।
लंबे समय तक बरकरार रहेगी संगमरमर की चमक
महापौर ने बताया कि पटना नगर निगम की ओर से ऐतिहासिक स्थलों के पुनर्निर्माण का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत पर्यटन स्थलों को भी विकसित किया जाना है। इससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी। महापौर ने बताया कि शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी का निर्माण मकराना संगमरमर से होगा। इसी का इस्तेमाल ताजमहल में हुआ है। भूगर्भीय वैज्ञानिक प्रो. एमके पंडित का कहना है कि इस पत्थर का रंग नहीं बदलता है।