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एक देश एक बाजार, बाधा मुक्त बाजार के जरिए मोदी सरकार का आत्मनिर्भर भारत

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भारत कृषि प्रधान देश है। लगभग 70 फीसदी आबादी गांव में रहती है और कृषि पर निर्भर है। किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। बावजूद इसके देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र के योगदान में लगातार गिरावट आई है। हालांकि, हालिया आर्थिक आपदा से निबटने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भरोसा किया है। मई-जून माह में केंद्र सरकार ने खेती, किसान और गांवों को सशक्त बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। एक देश एक बाजार बाधा मुक्त बाजार के लिए मोदी सरकार की ख़ास पहल।

देश की कृषि उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है, लेकिन किसानों की माली हालात में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया है। नतीजतन  छोटे किसान और खेतिहर मजदूर शहरों की ओर पलायन करने लगे। इसका बड़ा कारण है दिन ब दिन खेती में लागत का बढ़ना और कृषि उत्पादों का उचित मूल्य न मिलना। खेती को घाटे का सौदा मान लोग खेती से विमुख होने लगे। कृषि क्षेत्र में देश की लगभग आधी श्रमशक्ति कार्यरत है। लेकिन, जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान मात्र 17.5 प्रतिशत लगभग ही है,जबकि, 1950 के दशक में जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 50 फीसदी था। पिछले कुछ दशकों के दौरान अर्थव्यवस्था के विकास में मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों का योगदान तेजी से बढ़ा है, जबकि कृषि क्षेत्र के योगदान में गिरावट दर्ज की गई।

आत्मनिर्भर भारत मिशन पर मोदी सरकार

आत्मनिर्भर भारत मिशन पर काम कर रही मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र पर फोकस किया है। उसी कड़ी में केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक हालत सुधारने की दिशा में सुधार के बड़े कदम उठाये हैं। पिछले हफ्ते केन्द्रीय कैबिनेट ने एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में संशोधन और एक देश-एक बाजार की नीति को मंजूरी दे दी। कैबिनेट से ‘कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020’ और ‘मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020’ को मंजूरी मिलने के बाद अब कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव की उम्मीद जगी है।

खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे कई कृषि प्रधान प्रदेशों के लिए सरकार के हालिया फैसले महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। “कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020” एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा, जहां किसानों और व्यापारियों को उपज की खरीद-बिक्री से संबंधित पसंद को स्वतंत्रता मिलेगी। प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार प्रणाली के माध्यम से पारिश्रमिक मूल्यों  की सुविधा प्राप्त होगी। विभिन्न राज्य कृषि उपज बाजार कानूनों के तहत अधिसूचित वास्तविक बाजार परिसरों या जिनको बाजार बनाया जाएगा, उनके बाहर किसानों की उपज के कुशल, पारदर्शी और बाधा रहित अंतर-राज्य और राज्य के भीतर व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिलेगा। इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग और जुड़े हुए मामलों या आकस्मिक उपचार के लिए एक सुविधाजनक ढांचा प्राप्त होगा। जबकि, “मूल्य  आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020”  कृषि समझौतों पर एक राष्ट्रीय ढांचा प्रदान करेगा।

एक देश एक बाजार कृषि क्षेत्र का उज्जवल भविष्य

यह कृषि-व्यवसाय फर्मों, प्रोसेसर, थोक व्यापारी, निर्यातकों या कृषि सेवाओं के लिए बड़े खुदरा विक्रेताओं और आपस में सहमत पारिश्रमिक मूल्य ढांचे पर भविष्य में कृषि उपज की बिक्री के लिए स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से किसानों की रक्षा करता है। उन्हें अधिकार प्रदान करता है। उपरोक्त दो उपाय कृषि उपज के बाधा मुक्त व्यापार को सक्षम बनाएंगे  और किसानों को उनकी पसंद के प्रायोजकों के साथ जुड़ने के लिए भी सशक्त बनाएंगे।

केंद्र सरकार ने 2016 में देशभर की कृषि उपज मंडियों को एक मंच पर लाकर किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम दिलाने के मकसद से इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म ‘ई-नाम’ शुरू किया था। इससे  देश की 785 मंडियां जुड़ी हैं। ‘कृषि उपज का बाधा मुक्त व्यापार’ की दिशा में ‘एक देश-एक बाजार’ सरकार की दूरगामी सोच को दर्शाता है। बिहार सरकार के कृषि मंत्री भी बिहार के किसानों को मिलने वाले बड़े लाभ को लेकर आशान्वित हैं। हालांकि वे स्वीकारते हैं कि चार साल पूर्व शुरू की गई ई-मंडी प्लेटफॉर्म ‘ई-नाम’ से अबतक बिहार नहीं जुड़ पाया है। बिहार सरकार केंद्र की ‘एक देश-एक बाजार’ नीति को बिहार और इसके जैसे कृषि प्रधान राज्यों के किसानों की समृद्धि के लिए मील का पत्थर मानती हैं।

‘कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020’ किसानों के लिए उपज  की बिक्री की स्वतंत्रता और मुक्त व्यापार का मार्ग प्रशस्त करेगा। अभी तक यह नियम था कि किसान अपनी फसलों को अपने ही प्रदेश में बेच सकता है, चाहे जो मूल्य मिले। नियामक प्रतिबंधों के कारण कृषि उत्पादों को बेचने में आ रही दिक्कतों, अधिसूचित कृषि उत्पाद विपणन समिति वाले बाजार क्षेत्र के बाहर उत्पाद बेचने पर कई तरह के प्रतिबंध, लाइसेंस प्राप्त खरीदारों को बेचने की बाध्यता सुगम व्यापार के रास्ते के बाधक रहे हैं।

किसानों के लिए बेहतर कारोबार, एक देश एक बाजार

केंद्र के हालिया फैसले से किसानों के लिये अब सुगम और मुक्त माहौल तैयार हो सकेगा। ‘एक देश-एक बाजार’ की अवधारणा का मूल उदेश्य एपीएमसी बाजारों की सीमाओं से बाहर किसानों को कारोबार के अतिरिक्त अवसर मुहैया कराना है। ताकि, प्रतिस्‍पर्धात्‍मक माहौल में उत्‍पादों की अच्‍छी कीमतें मिल सके। यह एमएसपी (MSP) पर खरीद की मौजूदा प्रणाली,जो किसानों को स्थिर आय प्रदान कर रही है, के पूरक के तौर पर काम करेगा। किसानों को अधिक विकल्प मिलेंगे। उपज की बेहतर कीमत मिल सकेगी। अतिरिक्त उपज वाले क्षेत्रों में भी किसानों को अच्छे दाम मिल सकेंगे, तो कम उपज वाले क्षेत्रों में भी उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमतें नहीं चुकानी पड़ेगी। किसानों को बिक्री पर कोई उपकर शुल्क नहीं देना होगा।
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आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के जरिए अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया जाएगा। इस व्यवस्था से निजी निवेशक अत्यधिक नियामकीय हस्तक्षेप के भय से मुक्त हो जाएंगे। उत्पादन, भंडारण, ढुलाई, वितरण और आपूर्ति करने की आजादी से व्यापक स्त‍र पर उत्पादन करना संभव हो जाएगा। इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में निजी-प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा। इससे कोल्ड स्टोरेज में निवेश बढ़ाने और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी।

किसानों की आय में सुधार संभव

किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर प्रसंस्करणकर्ताओं (प्रोसेसर्स), एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाएगा। इससे बाजार की अनिश्चितता का जोखिम प्रायोजक पर हस्तांतिरत हो जाएगा। साथ ही किसानों की आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट्स तक पहुंच भी सुनिश्चित होगी। इससे विपणन की लागत में कमी और किसानों की आय में सुधार संभव है। सरकार ने जिन अध्यादेशों और नीतियों को मंजूरी दी है, वह किसानों की उपज की वैश्विक बाजारों में आपूर्ति के लिए जरूरी आपूर्ति चेन तैयार करने को निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करने में एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा।

कृषकों की ऊंचे मूल्य वाली कृषि तकनीक और परामर्श तक पहुंच सुनिश्चित होगी। साथ ही उन्हें ऐसी फसलों के लिए तैयार बाजार भी मिलेगा। किसान प्रत्यक्ष रूप से विपणन से जुड़ सकेंगे, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और उन्हें अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा। किसानों को पर्याप्त सुरक्षा दी गई है। समाधान की स्पष्ट समयसीमा के साथ प्रभावी विवाद समाधान तंत्र भी उपलब्ध कराया गया है।

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कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करने की दिशा में सरकार के हालिया कदम का सार है कि किसानों के लिए नियामकीय व्यवस्था को उदार बनाया गया है, तो कृषि उपज के बाधा मुक्त अंतर-राज्य व्यापार के साथ-साथ राज्य के भीतर भी व्यापार को बढ़ावा देने के रास्ते खोले गए हैं। वहीं, प्रोसेसरों, समूहों, थोक विक्रेताओं, बड़े रिटेलरों और निर्यातकों के साथ सौदे करने के लिए किसानों को सशक्त बनाने की पहल भी की गई है। बिचौलियों से मुक्ति और कृषि उत्पादों के लिए बाधा मुक्त बाजार उपलब्ध कराकर किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में बेहतर नतीजों की उम्मीद की जा सकती है।
लेखक –  मनोज कुमार सिंह 
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक

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