Sunday, November 17, 2024
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कैसे विपक्ष बिहार में जनता के लिए रख पाएगा मजबूत विकल्प

बिहार विधानसभा चुनाव का शंखनाद होने ही वाला है। ऐसे में राजनीति खींचतान तो आम बात है। पर विपक्ष में आपस की खींचतान ने सत्ता पक्ष के लिए राह सरल कर दी है। लोगों को उम्मीद थी कि इस बार विपक्ष एक होकर चुनाव लड़ेगा। विपक्षी एकता के कारण एनडीए की ओर से नीतीश कुमार के लिए राह आसान नहीं होगी। ऐसे में मजबूत विपक्ष होने पर सरकार पर नित दबाव बना रहेगा।

लेकिन अब परिस्थिति भिन्न नजर आ रही है। विपक्ष में खींचतान का दौर शुरू हो गया है। विपक्ष में स्थित ऐसी है कि महागठबंधन के हर दल राजद पर दबाव बना रहे हैं। महागठबंधन की हर छोटी पार्टी ने अपने लिए अधिक से अधिक सीट का दावा कर रही है। जबकि दूसरी ओर राजद के ओर से इस मामले पर अभी तक कोई बयान नहीं आया है। वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के अन्य दलों ने पहले ही तेजस्वी यादव को अपना नेता मानने से मना कर दिया है। ऐसे में एक तो मजबूत विपक्ष की उम्मीद धूमिल पड़ रही है, वहीं दूसरे ओर नीतीश कुमार के खिलाफ एक बार फिर से विपक्ष विकल्प हीन नजर आ रहा है।

विपक्ष में स्थित महागठबंधन में आपसी फुट

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विपक्ष में स्थित छोटे दलों ने अपनी बात न माने जाने पर तीसरे मोर्च की बात को हवा दे रखी है। कुछ दिनों पहले तो मीडिया में ऐसी खबर आई की हम पार्टी ने महागठबंधन से दूरी बना ली है। अब उसका विलय जदयू में होने वाला है। लेकिन हम पार्टी के महासचिव द्वारा जल्द ही इस बात को निराधार बताया गया। लेकिन उन्होंने दबे शब्दों से ही महागठबंधन को चेतावनी दे ही दी। उन्होंने कहा कि अगर 26 जून तक समन्वय समिति पर कोई निर्णय नहीं हुआ तो हम अपना निर्णय लेने के स्वतंत्र हैं। इसके साथ ही हम पार्टी को अन्य दो छोटी पार्टियों रालोसपा और वीआईपी का समर्थन भी है। इन तीनों पार्टियों ने पिछले दिनों हम पार्टी प्रमुख जीतन राम मांझी के घर बैठक भी की है।

खैर इन सब के बीच कांग्रेस के लिए असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सबसे पहले तो उसने पिछले बार से अधिक सीटों की मांग रखी। अब कांग्रेस ने समन्वय समिति के मांग पर भी सहमती जता दी है। जबकि राजद की इस मामले पर कोई प्रति क्रिया नहीं है। ऐसे में आने वाले समय में अगर विपक्ष में बिखराव नजर आता है तो कोई नई बात नहीं होगी। क्योंकि हम के साथ ही अन्य दो गठबंधन दल भी तीसरे मोर्चे पर सहमत ही नजर आते हैं।

ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के लिए रास्ता आसान नजर नहीं आता है। इसके अलावा विपक्षी बिखराव में बिहार में विकल्पों के कमी को उजागर कर दिया है। ऐसे में आने वाले चुनाव में राज्य में एक मात्र विकल्प नीतीश कुमार का कोई बड़ा प्रतिद्वंदी नजर नहीं आ रहा है। इसके कारण महागठबंधन की आपसी फुट ने विकल्पों की कमी के साथ मजबूत विपक्ष के दावे को कमजोर कर दिया है।

Badhta Bihar News
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