बिहार की शिक्षा व्यस्था के बारे में आए दिन कोई न कोई घटना सुनने को मिलती रहती है। एक समय शिक्षा के क्षेत्र में बिहार जहाँ पूरी दुनिया में अपनी एक पहचान रखता था वहीँ अब इस राज्य के शिक्षा व्यवस्था के बारे में कहने की जरुरत नहीं है। खगड़िया में शिक्षकों की कमी से पढ़ाई बाधित होने पर गुस्साए विद्यार्थियों ने स्कूल में जमकर हंगामा किया। अब बच्चे करे भी तो क्या करे? रोज़ विद्यालय आते हैं परन्तु बिना पढ़े लौट जाते हैं।
खगड़िया जिले के चौथम प्रखंड के मिडिल स्कूल, बोडकोठी (जवाहर नगर) में शिक्षकों की अत्यधिक कमी है। केवल चार शिक्षकों के भरोसे स्कूल में पठन-पाठन संचालित किया जा रहा है। शिक्षकों की कमी से परेशान और आक्रोशित छात्रों ने बुधवार को स्कूल में जमकर हंगामा किया।
हालांकि बाद में हेडमास्टर अरुण कुमार के समझाने के बाद आक्रोशित बच्चे शांत हुए। बताया जाता है कि सुबह स्कूल खुलते ही स्कूली छात्र व छात्राएं बेंच-डेस्क निकालकर सड़क पर आ गए। इसके बाद करुआ- बदला घाट सड़क को जाम कर दिया। हालांकि दस मिनट बाद ही स्थानीय लोंगों की पहल पर सड़क जाम तोड़ दिया गया।
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इसके बाद बच्चे स्कूल के गेट में ताला मारकर हंगामा करने लगे। दस बजे स्कूल पहुंचे हेडमास्टर अरुण कुमार गेट का ताला खोलकर सभी आक्रोशित बच्चों को अंदर ले गये। इधर छात्रों ने बताया कि यहां शिक्षकों की बहुत ज्यादा कमी है। विद्यालय में मात्र चार शिक्षक उपलब्ध हैं। जिसमें एक शिक्षक कभी-कभी ही विद्यालय आते हैं।
शिक्षकों की कमी से पढ़ाई बाधित
विद्यालय के हेडमास्टर ने भी माना कि शिक्षकों की कमी से पठन-पाठन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि विद्यालय के आठ क्लास में मात्र चार शिक्षक हैं। जिसमें हेडमास्टर अन्य कार्यों में ही व्यस्त रहते हैं। एक शिक्षक अक्सर गायब ही रहते हैं। यहां शिक्षकों की मांग को लेकर पहले भी छात्र व ग्रामीण हंगामा कर चुके हैं। जिस कारण पूर्व में दो शिक्षकों को स्कूल में प्रतिनियोजन किया गया था। बाद में प्रतिनियोजन रद्द कर दिया गया।
चौथम के बीइओ अरुण यादव ने बताया कि मिडिल स्कूल, बोडकोठी में शिक्षक की कमी है। पूर्व में प्रतिनियोजन में शिक्षक थे। फिलहाल शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए डीईओ से मार्गदर्शन लिया जा रहा है।
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परन्तु यह मार्गदर्शन कब तक लेते रहेगी ये सरकार? एक तो विद्यालय ठीक नहीं है ऊपर है जो है उसमे भी शिक्षक की कमी है। बिहार के बच्चों का भविष्य अधर में डाल कर सरकार बिहार के भविष्य को गर्त में धकेलती जा रही है। या फिर यूँ कहे की बिहार के नेता लोग चाहते ही नहीं की यहाँ के बच्चे पढ़े। उनको शायद यह डर भी सता रहा होगा की पढ़ लिख जाने के बाद इन नेताओं की दाल नहीं गलेगी।
स्रोत- हिन्दुस्तान