भाजपा ने बिहार में नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कर लिया है। इस पद के लिए कई नाम चल रहे थे। लेकिन, संजय जायसवाल शीर्ष नेतृत्व का विश्वास जितने में कामयाब हुए है। उन्होंने बेतिया संसदीय सीट से लगातार तीन बार जीत हासिल की है। इससे पूर्व ये कयास लगाया जा रहा था कि किसी सवर्ण को यह पद दिया जा सकता है। लेकिन, आलाकमान का फैसला चौंकाने वाला रहा। सभी अटकलों को नकारते हुए विवादों से दूर डॉ जायसवाल का चयन इस पद के लिए किया गया। डॉ जायसवाल चम्पारण से दूसरे प्रदेश अध्यक्ष है। इससे पूर्व चम्पारण से ही आने वाले राधामोहन सिंह इस पद को सुशोभित कर चुके है।
कौन है डॉ संजय जायसवाल
डॉ संजय जायसवाल को राजनीति विरासत में मिली है। इनके दादा रामयाद राम हिन्दू महासभा के सदस्य थे। ये कांग्रेस के कट्टर विरोधी थे। साथ ही डॉ जायसवाल के पिता भी कांग्रेस विरोध की राजनीति में सक्रिय थे। इन्होने सन 1990 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। तत्पश्चात इन्होने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2009 में प्रथम बार बेतिया से सांसद चुने गए। तब से लगातार बेतिया से सांसद है। इससे पूर्व 2017 में उनका चयन भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में हुआ था।
आखिर क्या है भाजपा की रणनीति
अगले वर्ष नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव होने है। बिहार की सभी पार्टियां चुनाव की तैयारियां आरम्भ कर चुकी है। बिहार की चुनाव में जाति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई है। कोई भी पार्टी इससे अछूती नहीं है। भाजपा भी नहीं चाहती है कि किसी वजह से नुकसान हो। साथ ही भाजपा अपने कोर वोटबैंक (सवर्ण, व्यापारी) को नाराज़ नहीं करना चाहती है। इन्ही समीकरणों का ध्यान रखते हुए भाजपा ने एक साथ दोहरी चाल चली है।
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दरअसल, डॉ जायसवाल पिछड़े वर्ग के वैश्य समुदाय से आते है। यह समुदाय मुख्यतः व्यापर और उच्चतर समझी जाने वाली अन्य व्यवसायों में संग्लग्न है। भाजपा फ़िलहाल न तो पिछड़े वर्ग को नाराज़ करना चाहती थी न व्यापारी वर्ग को। डॉ जायसवाल इनदोनों समुदायों की रणनीति में फिट बैठते है। वही भाजपा को सवर्ण समुदाय से भरपूर समर्चन की उम्मीद है। चूँकि इस समुदाय के बिहार कोटे से केंद्र में कई मंत्री है। इसलिए भाजपा फ़िलहाल सवर्ण वोटबैंक को लेकर आश्वस्त है।
दरअसल, देश फ़िलहाल भीषण मंदी झेल रहा है। नोटबंदी के बाद हालात हालात इस कदर बिगड़ने की उम्मीद किसी ने नहीं की थी। लेकिन, गिरते व्यापार को देखकर यह वर्ग खुद को ठगा महसूस कर रही है। दूसरी ओर, भाजपा को छोड़कर अन्य पार्टियां इस वर्ग का समर्थन करती नज़र नहीं आ रही है। भविष्य में इस वर्ग का भाजपा से विमुख होने की आशंका है। यही वजह है कि भाजपा कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहती है।
राजद और जदयू में भी होंगे नए प्रदेश अध्यक्ष
राजद और जदयू भी आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करने की रेस में है। इस मामले में भाजपा बाजी मारी है। राजद के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव युवा एवं तेजतर्रार प्रदेश अध्यक्ष चाहते है। उनकी चाह वर्त्तमान युवावर्ग से बेहतर तालमेल बिठाने वाले प्रदेश अध्यक्ष की है। राजद में फ़िलहाल सदस्यता अभियान चल रही है। इसके पश्चात् प्रदेश अध्यक्ष के चुने जाने की आसार है। यह चुनाव लालू यादव की सहमति से ही होगी। फ़िलहाल रामचंद्र पूर्वे इस पद को संभल रहे है। वो लगातार तीन टर्म से इस पद पर विराजमान है।
वही जदयू भी इसी राह में चल रही है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितीश कुमार बने रहेंगे। लेकिन, बिहार समेत सभी राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। यह चुनाव नवंबर में होने की आसार है। वही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर विधिवत चुनाव दिसंबर में हो सकते है।
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