Home क्राइम इंसानियत शर्मसार: रेलवे स्‍टेशन पर बेहोश यात्री के मुंह पर चप्‍पल सटाता थानेदार

इंसानियत शर्मसार: रेलवे स्‍टेशन पर बेहोश यात्री के मुंह पर चप्‍पल सटाता थानेदार

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इंसानियत शर्मसार: रेलवे स्‍टेशन पर बेहोश यात्री के मुंह पर चप्‍पल सटाता थानेदार

बिहार में पुलिस की घिनौनी हरकत से एक फिर इंसानियत शर्मसार हो गई है। बिहार पुलिस की हरकत जानकर आपको हैरानी होगी। आजकल एक विडियो वायरल हो रहा है। जिसमें थानेदार रेलवे स्‍टेशन पर बेहोश यात्री के मुंह पर चप्‍पल सटा रहा है। वह भी हाथ में चप्पल लेकर नहीं, बल्कि पैर में पहने चप्‍पल से उस यात्री का हाल-चाल ले रहा है। थानेदार की इस ओछी हरकत को देखकर स्‍टेशन पर मौजूद लोग भी स्‍तब्‍ध रह गए। यह पूरा वाक्या बिहार के जमुई रेलवे स्‍टेशन का है। जमुई स्टेशन पर जीआरपी के थानेदार श्रीकांत रजक ने अपनी हरकतों से मानवता को शर्मसार कर दिया है। उस यात्री के साथ जानवर से भी बदतर व्यवहार किया गया।

बता दें कि जमुई रेलवे स्टेशन पर यदि कोई बीमार व्यक्ति गिर जाए तो उन्हें पैरों से हिला-डुला कर उठाने की कोशिश की जाती है। इतने में भी अगर वह नहीं उठे, तो पैरों में पहने चप्पल को सुंघाने की हिमाकत की जाती है, जिससे वह उठ सके। यह कुकृत्य कोई आम व्यक्ति नहीं, बल्कि जमुई रेलवे स्टेशन की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाले जीआरपी के थानेदार श्रीकांत रजक ने किया है। बुधवार से सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें श्रीकांत रजक की वाहियात हरकत आसानी से देखी जा सकती है।

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वायरल हो रहा वीडियो

वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि जमुई रेलवे स्टेशन पर एक यात्री अचानक बीमार होने के कारण गिर गया और बेहोश हो गया इस बात की सूचना जब जीआरपी को मिली तो जीआरपी के सिपाही द्वारा उसके चेहरे पर पानी छींट कर उसे होश में लाने का प्रयास किया जा रहा था। इसी वक्त जीआरपी थानाध्यक्ष श्रीकांत रजक वहां पहुंचा और उसने अपने पैर से पहले उसे हिला-डुलाकर उठाने का प्रयास किया। उसके बाद अपने पैर को उसके चेहरे पर लगाकर उसे चप्पल सटाकर देखने लगा। वीडियो में बेहोश यात्री को थानेदार के द्वारा चप्‍पल सूंघाते हुए देखा जा सकता है।

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गौरतलब है कि श्रीकांत रजक जीआरपी के थानेदार तो बन गए मगर इंसान न बन सके। साहब को कम-से-कम इतना तो पता होना ही चाहिए था कि कोई व्‍यक्ति बीमार गिरा मिले तो उसे गोद में उठाकर बेंच या कुर्सी पर लिटाया जाता है, लेकिन अफसोस साहब थानेदारी की पढ़ाई में इतने मशगूल हो गए कि इंसानियत का पाठ उनसे कोसों दूर रह गया।