Home बिहार बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षक का पुनर्विचार याचिका SC में खारिज

बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षक का पुनर्विचार याचिका SC में खारिज

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सुप्रीम कोर्ट ने समान काम-समान वेतन को लेकर बिहार के नियोजित शिक्षक की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि वह अपने पुराने फैसले पर कायम है। बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से बिहार के करीब पौने चार लाख नियोजित शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। सबसे खास बात ये है कि इस मसले पर बिहार सरकार के साथ केंद्र सरकार भी कंधे से कंधा मिलाए खड़ी है।

हालांकि शिक्षकों का अब भी यही कहना है कि एक ही विद्यालय में एक ही काम के लिए दो अलग-अलग वेतनमान उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट के इस फैसले का सीधा असर बिहार के करीब 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों पर पड़ेगा। आपको बता दें कि बीते 10 मई को भी सुप्रीम कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के समान वेतन देने का आदेश देने से इनकार कर दिया था।

जानिए कौन हैं नियोजित शिक्षक और क्या है पूरा मामला

ग्रामीण स्तर पर बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराने और शिक्षकों की कमी झेल रहे सरकारी विद्यालयों में वर्ष 2003 से शिक्षा मित्र रखे जाने का फैसला किया गया था। उस समय दसवीं और बारहवीं में प्राप्त किए अंकों के आधार पर इन शिक्षकों को 11 महीने के कांट्रैक्ट पर रखा गया था। इन्हें मासिक 1500 रुपये का वेतन दिया जा रहा था। फिर धीरे धीरे उनका अनुबंध भी बढ़ता रहा और उनकी आमदनी भी बढ़ती रही।

बिहार के विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात सबसे खराब

वर्ष 2006 में इन शिक्षा मित्रों को ही नियोजित शिक्षक के तौर पर मान्यता दे दी गई। बिहार पंचायत नगर प्राथमिक शिक्षक संघ के अनुसार बिहार में मौजूदा समय में तीन लाख 70 हजार समायोजित शिक्षक हैं, जिन्हें अपने काम के हिसाब से वेतन नहीं मिल रहा है। दरअसल पूर्व से नियुक्त सरकारी शिक्षकों के वेतनमान इन नियोजित शिक्षकों के मुकाबले लगभग ढाई गुना अधिक है।

क्या कहती है बिहार सरकार

बिहार के नियोजित शिक्षक लगातार समान काम-समान वेतन की मांग करते रहे हैं। लेकिन, बिहार सरकार का कहना है कि राज्य में लगभग चार लाख नियोजित शिक्षक हैं। ऐसे में अगर फैसला शिक्षकों के पक्ष में आता है तो उनका वेतन करीब 35 से 40 हजार हो जाएगा। राज्य सरकार के अनुसार वह इस अतिरिक्त खर्च करने के काबिल नहीं है।

सरकार के द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट में पूर्व में सौंपी गई रिपोर्ट में सरकार ने यह कहा था कि वह प्रदेश के नियोजित शिक्षकों को महज 20 फीसद की वेतन वृद्धि दे सकती है।

बिहार सरकार की दलील को केंद्र सरकार ने सही ठहराया था और कहा था कि अगर शिक्षकों की बात मानी गई तो और राज्यों में भी ये मांग उठेगी। गौरतलब है कि नियोजित शिक्षकों के वेतन का 70 फीसद राशि केंद्र सरकार को ही देना है। राज्य सरकार के वकील ने कहा था कि आर्थिक स्थिति नहीं कि लगभग पौने चार लाख नियोजित शिक्षकों को पुराने शिक्षकों के बराबर समान वेतन दे सके। समान काम समान वेतन देने पर सरकार को सालाना 28 हजार करोड़ का बोझ पड़ेगा। एरियर देने की स्थिति में 52 हजार करोड़ भार पड़ेगा।

स्रोत- NEWS18

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