टिड्डी दल कर सकते हैं किसानों को तबाह, जाने अपने फसलों के बचाव के उपाय

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टिड्डी दल की मार अब बिहार के किसानों पर भी पड़ने वाली है। जहां राज्य एक ओर कोरोना की मार झेल रहा है। वहीं टिड्डी दल भी बिहार सीमा के निकट पहुंच चुके हैं। जो कि जल्द ही फसलों पर अपना प्रकोप डालने वाली हैं। मंगलवार को इनका प्रकोप प्रयागराज में देखा गया। जिससे कि उनके बिहार पहुंचने की उम्मीद ज्यादा हो गई है। हालांकि केन्द्रीय एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन केन्द्र इसको रोकने में लगा है। बावजूद इसके सरकार पहले से सतर्क है। उसने सीमावर्ती जिलों के जिलाधिकारियों को सतर्क कर दिया है। इसके लिए राज्य सरकार पूर्व में ही दिशा निर्देश जारी कर चुके है।

सरकार ने कृषि विभाग के ओर से बचाव के तरीके भी बता दिए हैं। जिससे कि किसानों की फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सके।

टिड्डी दल से बचाव के उपाए

सरकार ने इससे बचाव के लिए उपाय जारी किए हैं:-

  • ढोल, नगाड़ों, टीन के डिब्बों, थालियों आदि बजाकर शोर मचायें। शोर से टिड्डी दल आस-पास के खेतों में आक्रमण नहीं करते हैं।
  • कृषि रक्षा रसायनों, स्प्रेयर्स एवं ट्रैक्टर्स आदि की व्यवस्था कर ली जाये।
  • टिड्डी दल प्राय: दिन डूबने पर पेड़ पौधों पर दिन निकलने तक आश्रय लेती हैं।
  • टिड्डी दल के प्रकोप की सूचना कृषि विभाग के सभी स्तर के अधिकारियों को तत्काल पहुँचाया जाये।
  • रसायन के छिड़काव के लिए रात्रि के 11 बजे से सुबह सूर्योदय तक होता है।

किसानों के द्वारा कीटनाशिकों के छिड़काव का तरीका:-

  • लैम्बडासायहेलोथ्रीन 5 ई.सी. की 1.0 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में।
  • क्लोरपायरीफॉस 20 ई.सी. की 2.5 से 3.0 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में।
  • फिपरोनिल 5 ई.सी. की 1.0 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में।
  • डेल्टामेंथ्रीन 2.8 ई.सी. की 1.0 से 1.5 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में।

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वहीं कृषि सचिव डॉ. एन सरवण कुमार ने पौधा संरक्षण निदेशालय के अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। अवकाश के दिन भी कार्यालय खोलने के निर्देश जारी कर दिए हैं। कैमूर, रोहतास, बक्सर, भोजपुर, गया, औरंगाबाद, सारण, सीवान, गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण में टिड्डी दल के प्रकोप की संभावना है। इसके लिए संबंधित चेतावनी और एडवाइजरी भी जारी कर दी गई है। प्रखंड व पंचायत स्तरों पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।