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बिहार पुल हादसे: कारण और प्रभाव

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बिहार पुल हादसे: बिहार में पुलों के धराशाई होने का एक लंबा और चिंताजनक इतिहास है। पिछले तीन वर्षों में ही नौ पुल ध्वस्त हो चुके हैं। हालिया घटना 18 जून 2024 की है, जब अररिया जिले के सिकटी प्रखंड में बकरा नदी के पड़रिया घाट पर निर्मित पुल अचानक गिर गया। इस पुल का निर्माण सिकटी और कुर्साकाटा प्रखंडों को जोड़ने के उद्देश्य से किया गया था।

सात करोड़ 79 लाख 60 हजार रुपये की लागत से निर्मित इस पुल का निर्माण पहले बने पुल के एप्रोच पथ के कट जाने के बाद किया गया था। स्थानीय लोगों द्वारा पुल के निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल की आशंका जताई जा रही है।

किसी अन्य राज्य के लिए यह एक बड़ी घटना हो सकती है, परंतु बिहार में पुल का गिरना आम बात है क्योंकि यहां आए दिन ऐसी घटनाएं सुर्खियों में बनी रहती हैं। आइए, बिहार पुल हादसे पर एक नज़र डालते हैं:

20 मई 2022: पटना का पुराना पुल गिरना

ब्रिटिश सरकार द्वारा 1884 में निर्मित यह पुल 20 मई 2022 को गिर गया। हालांकि यह पुल पुराना था, लेकिन देखरेख की कमी इसके ध्वस्त होने का मुख्य कारण बना, जो बिहार पुल हादसे की एक और मिसाल है।

9 जून 2022: सहरसा में पुल का गिरना

सहरसा में 9 जून 2022 को एक पुल गिर गया, जिसमें तीन मजदूर घायल हो गए। यह भी बिहार पुल हादसे के अंतर्गत आता है।

18 नवंबर 2022: नालंदा में निर्माणाधीन पुल का ध्वस्त होना

18 नवंबर 2022 को नालंदा में एक निर्माणाधीन पुल गिर गया, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस प्रकार के बिहार पुल हादसे बार-बार घटित हो रहे हैं।

16 जनवरी 2023: दरभंगा में पुल का धराशायी होना

दरभंगा जिले में 16 जनवरी 2023 को एक पुल गिर गया। यह पुल कमला बलान नदी पर स्थित था, जो दरभंगा को मधुबनी, सहरसा और समस्तीपुर से जोड़ता था। यह भी बिहार पुल हादसे की श्रृंखला का हिस्सा है।

19 फरवरी 2023: पटना में निर्माणाधीन पुल का गिरना

राजधानी पटना में 19 फरवरी 2023 को बिहटा और सरमेरा फोरलेन मार्ग पर निर्माणाधीन पुल गिर गया। बिहार पुल हादसे राजधानी तक भी पहुंच चुके हैं।

19 मार्च 2023: सारण में पुराना पुल का ध्वस्त होना

अंग्रेजी शासन में निर्मित यह पुल पुनरुद्धार की राह देखते हुए 19 मार्च 2023 को प्रशासन की लापरवाही के कारण गिर गया। यह बिहार पुल हादसे का एक और उदाहरण है।

भागलपुर पुल हादसा

गंगा नदी पर उत्तर और पूर्वी बिहार को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा 1710 करोड़ रुपये की लागत का पुल निर्माणाधीन अवस्था में ही ध्वस्त हो गया। यह भी बिहार पुल हादसे का एक बड़ा उदाहरण है।

22 मार्च 2024: सुपौल में निर्माणाधीन पुल का हिस्सा गिरना

NHAI द्वारा मधुबनी और सुपौल के बीच कोसी नदी पर बन रहा पुल 22 मार्च 2024 को गिर गया, जिसमें एक मजदूर की मौत हो गई और 9 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह बिहार पुल हादसे की घटनाओं की श्रृंखला में एक और कड़ी है।

18 जून 2024: अररिया में पुल का गिरना

सिकटी और कुर्साकाटा प्रखंड को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा पुल 18 जून 2024 को गिर गया। पहली बार नदी का किनारा बाढ़ के कारण टूटा था और नवनिर्माण के बावजूद यह फिर से ध्वस्त हो गया। बिहार पुल हादसे लगातार होते जा रहे हैं।

बिहार पुल हादसे के पीछे के कारण

इन घटनाओं के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं:

  • घटिया सामग्री का इस्तेमाल: स्थानीय लोगों ने निर्माण में घटिया सामग्री के उपयोग की शिकायत की है।
  • भ्रष्टाचार: जनता ने प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, जिसमें बजट का दुरुपयोग शामिल है।
  • प्राकृतिक कारक: कुछ विशेषज्ञ नदियों के बदलते रास्तों को भी एक कारण मानते हैं।
  • देखरेख की कमी: कई पुलों के रखरखाव में लापरवाही बरती गई।

इन कारणों से यह स्पष्ट होता है कि मानवीय गलतियाँ और भ्रष्टाचार इन हादसों के प्रमुख कारक हैं। तीन वर्षों में नौ पुलों का ध्वस्त होना एक गंभीर समस्या है, जो प्रशासन और देखरेख की कमी को उजागर करता है। बिहार पुल हादसे राज्य के बुनियादी ढांचे की स्थिति पर सवाल खड़े करते हैं।

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