सूबेभर के मजदूर अब राहत की सांस ले सकते हैं। दरअसल, बिहार के मजदूरों के लिए एक राहत भरी खबर है। बिहार सरकार ने बिहार में लॉकडाउन- 2 के दौरान श्रमिकों को आजीविका का साधन मुहैया कराने के लिए ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के मजदूरों से काम कराने का न सिर्फ फैसला लिया है, बल्कि यह शुभ काम शुरू भी हो चुका है। सोलह फरवरी को पूरे राज्य में 2 लाख 77 हजार श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराया गया।
बिहार सरकार ने दी कुछ शर्तों पर काम करने की इजाजत
इस बात की जानकारी बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने दी है ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा है कि लॉकडाउन-2 की स्थिति में मनरेगा योजना के तहत बिहार के ग्रामीण इलाकों में कुछ शर्तों के साथ काम शुरू करने की इजाजत दे दी गई है। गुरुवार से काम शुरु हो गया है, और इसी के साथ 2.77 लाख श्रमिकों को रोजगार मिल गया है। रोजगारक मिले मज़दूरों में से 1 लाख 25 हजार श्रमिक ऐसे हैं, जो लॉकडाउन की वजह से दूसरे प्रदेशों से बिहार लौटे हैं।
बता दें कि ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा है कि काम मांगों अभियान के तहत पंचायत रोजगार सेवक ग्रामीण इलाकों में घूम-घूम कर काम करने के इच्छुक लोगों से आवेदन लेंगे। औऱ इसी के साथ पूरे राज्य में ‘काम मांगो अभियान’ चलाकर पंचायत स्तर पर मनरेगा श्रमिकों के लिए जॉब कार्ड बनाये जाने काम शुरु हो जाएगा। फिल्हाल, ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही विभिन्न योजनाओं पर काम शुरू होने की वजह से लॉक डाउन-2 में उन्हें काम करने का अवसर प्राप्त हो गया है। ग्रामीण विकास विभाग योजना के तहत कुल 8386 पंचायतों में मनरेगा के अंतर्गत काम की शुरुआत कर दी गई है।
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पंचायतों में 40 हजार नये प्रोजेक्ट पर जल्द होगा काम शुरु
अगर श्रवण कुमार का मानें तो उन्होंने कहा कि विभाग ने सभी डीएम और डीडीसी को व्यक्तिगत लाभ वाली योजनाएं, जैसे- प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण वृक्षारोपण पौधशाला छोटे तालाब का निर्माण उड़ाही जल संचयन संरचना का निर्माण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कराने का आदेश दिया है। साथ ही जल-जीवन-हरियाली योजना से संबंधित वैसी सभी स्कीमों पर भी काम तुरंत शुरू कर दिया जाएगा, जिसे ग्राम सभा से मंजूरी मिल चुकी है।
विदित हो कि आने वाले दिनों में पंचायतों में 40 हजार प्रोजेक्ट पर पांच लाख लोगों को काम जल्द से जल्द दिया जाएगा। ग्रामीण विकास विभाग की योजना है कि प्रत्येक पंचायत में कम से कम 5 योजनाओं को शुरू किया जाए। ऐसा करने पर 8 हजार पंचायतों में लगभग 40 हजार प्रोजेक्ट शुरू कर दिए जाएंगे। इन प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद मनरेगा व अन्य काम में लगभग 5 लाख से अधिक मजदूरों को रोजगार मिल जाएगा।
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