मुजफ्फरपुर के दौरे पर आये नीतीश कुमार के काफिले पर कुछ लोगो ने स्याही फेंकी है। इनलोगों ने नीतीश कुमार के काफिले को काले झंडे भी दिखाए है। इस तरह की तीखी प्रतिरोध के बाद यह घटना पुरे बिहार में वाद-विवाद का केंद्र बन गई है। नीतीश कुमार अनेक योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करने मुजफ्फरपुर आये हुए है। इस दौरान मुख्यमंत्री SKMCH गए थे, जहाँ चमकी बुखार के कारण सैकड़ों बच्चों की मौत हुई थी। लेकिन, SKMCH में शिलान्यास और उद्घाटन के दौरान ही उनके काफिले का विरोध किया गया।
पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया है। गरीब जनक्रांति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता उमाशंकर यादव और जिला छात्र अध्यक्ष अंकित कुमार को इस मामले में गिरफ्तार किये जाने की बात कही जा रही है। इस घटना के बाद मुजफ्फरपुर बाज़ार में सन्नाटा उभर आयी है। ऐतिहातन सुरक्षा गस्त बढ़ा दी गई। मामला फ़िलहाल नियंत्रण में है। इस घटना को मुख्यमंत्री के सुरक्षा में एक बड़ी चूक मानी जा रही है।
पहले भी मुख्यमंत्री के काफिले पर हुए है हमले
इससे पहले जनवरी 2018 में भी बक्सर में समीक्षा यात्रा के दौरान CM नीतीश कुमार के काफिले पर पत्थरों से हमला किया गया था। बक्सर के नांदन गावं में हुए इस हमले में उनके सुरक्षा में तैनात कर्मियों को चोंटे आई थी। हालाँकि, नीतीश कुमार को कोई चोट नहीं आई थी। ज्ञात हो कि इस हमले के दौरान मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल कई गाड़ियों के शीशे टूट गए थे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एनडीए में क्या उतना महत्व मिल रहा है?
इसी तरह के एक घटना का सामना नीतीश कुमार को खगड़िया में अधिकार यात्रा के दौरान करना पड़ा था। आक्रोशित आमजनो ने विरोध-प्रदर्शन और आगजनी भी की थी। बाद में इस घटना के जांच के लिए SIT का गठन किया गया था। इस मामले में 73 लोगों को नामजद किया गया था।
बीतें कुछ वर्षों से मुख्यमंत्री, कुमार को इस तरह के अनेक आक्रोशित भीड़ का सामना करना पड़ा है। चौपालों पर जारी चर्चा के अनुसार इसकी एक बड़ी वजह आमजन में फैली असंतुष्टि और प्रशानिक लापरवाही बताई जा रही है। ज्ञात हो कि 2019 के आमचुनाव में रैलियों के दौरान नीतीश कुमार को आमजन के विरोध और नारेबाजी का सामना करना पड़ा था।