बिहार शिक्षक संघर्ष समय समन्वय समिति के आह्वान पर जहां एक तरफ प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के शिक्षक हड़ताल पर हैं। वहीं, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर हाई स्कूल के शिक्षक भी 24 फरवरी से हड़ताल पर जा चुके हैं। इस बीच मैट्रिक की परीक्षा भी संपन्न हुयी और अब कॉपी जांच की प्रक्रिया शुरू हो गयी है, लेकिन आलम यह है कि बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड ने जीवित शिक्षकों को परीक्षक बनाने की बजाय मृत और रिटायर शिक्षक को परीक्षक बना दिया। अब जबकि इस बात का खुलासा हो गया है कि मृत शिक्षक को परीक्षक बनाया गया है तो इस पर बवाल मचा हुआ है।
केदारनाथ पांडे तथा महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद बोर्ड की कड़ी निंदा की
बता दें कि बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पांडे तथा महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि मृत और त्यागपत्र दे चुकी शिक्षिका को बिहार बोर्ड परीक्षक नियुक्त किया है। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब त्यागपत्र दे चुकी शिक्षिका ने मूल्यांकन में योगदान नहीं किया तो उन पर प्राथमिकी दर्ज कर दी गई है और उनकी जगह पर मृत शिक्षक का नाम बतौर परीक्षक बताया गया है। इस मृक शिक्षक को अतिथि शिक्षक बताकर इनसे कॉपी जांच करने का आदेश दिया गया।
मृत शिक्षिका का परीक्षक की सूची में नाम
ईधर, इस पूरी घटनाक्रम को जानने के बाद बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने बिहार विद्यालय बोर्ड के अध्यक्ष और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पर छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। शिक्षा की गिरती व्यव्स्था को लेकर संघ ने बोर्ड के अध्यक्ष व शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
गौरतलब है कि मैट्रिक-इंटर परीक्षा व इसकी कॉपी जांच में यह परेशानी पहली बार नहीं हो रही है। बिहार बोर्ड परीक्षा समिति के हर साल का यही राम-कठोला है। साल-दर-साल बीत रहा है, लेकिन बिहार बोर्ड हर साल होनेवाली इस तरह की परेशानी से बचने का कोई ठोस उपाय नहीं ढूंढ रहा है। कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि देश के भावी कर्णधार और बिहार के इन नैनिहालों के करियर व भविष्य की चिंता ना तो नीतीश सरकार को है और ना ही बिहार के इस शिक्षण पद्धति के गैर-जिम्मेदार सिस्टम को।
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