Saturday, December 28, 2024
Homeत्योहार और संस्कृतिबिहारनामा, लोकगीतों की स्त्रियां और लोकगीतों में स्त्रियां

बिहारनामा, लोकगीतों की स्त्रियां और लोकगीतों में स्त्रियां

बिहारनामा, बिहार की सांस्कृतिक दूरी को पाटने का उत्तम एक प्रयास है। खाली हुए इस सांस्कृतिक दूरी को पाटने का काम वर्षों से किया जा रहा है। अजनबीपन खत्म तो हुआ है लेकिन जिस दिशा में प्रयास होना चाहिए, उस दिशा में शायद नहीं हो पा रहा। इस दूरी को पाटने की शुरुआत विंध्यवासिनी देवी ने कीं, जिन्होंने अपने समय में जब गीतों की रचना शुरू किया, तब सभी बिहारी भाषाओं का मिलान एक गीत में करा देती थीं। सिर्फ रचते हुए नहीं, गाते हुए भी। वह संस्कार गीतों को, छठ गीतों को और दूसरे रचे गये आधुनिक गीतों को एक अलग रंग रूप में ढाल रही थी, जिसे सब समझते हीं नहीं सब अपना मानते थे। जिसमे अपनेवान का एहसास होता था।

उसके बाद गायन की दुनिया में शारदा सिन्हा एक पुल की तरह बन गयी, जिन्होंने मिथिला और भोजपुरी के बीच की दूरी को खत्म करने का प्रयास किया। बिहारनामा, बिहार की लोकगीतों और सांस्कृतिक दूरी को भी पाटने का एक प्रयास है।

शारदा जी के गीतों का जादू था की भोजपुर के इलाके में मैथिली के गीत सुने जाने लगे, मिथिला के इलाके में भोजपुरी के। बिहार की संस्कृति में किये गए कई योगदानों में, शारदाजी का एक अभूतपूर्व योगदान यह भी है। यह शारदाजी के अपने समर्पण का मामला था, जिसकी वजह से उनकी आवाज किसी भाषा की नहीं बल्कि पूरे बिहार की सबसे भरोसेमंद और सबसे करीबी आवाज बन गयी।

बिहारनामा का आयोजन

भिखारी ठाकुर जी की पुण्यतिथि पर, 10 जुलाई को राजधानी पटना के बिहार संग्रहालय में विशेष आयोजन होने वाला है। लोकराग का यह आयोजन भोजपुरी संगठन आखर के सौजन्य से किया जा रहा है। आयोजन के प्रमुख बिंदु हैं –

  • बिहार की संगीत परंपरा और भारतीय संगीत में उसका योगदान पर व्याख्यान।
  • गायन – लोकगीतों की स्त्रियां और लोकगीतों में स्त्रियां
  • एक संवाद – भिखारी ठाकुर की रचनाओं में स्त्रियों के स्वर पक्ष
  • बतकही की चौपाल का आयोजन।
बिहारनामा

10 जुलाई को भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि के अवसर पर जिस पटना में बिहारनामा का आयोजन हो रहा है, उस शहर से भिखारी ठाकुर जी का गहरा रिश्ता रहा। यहां उनके कद्रदान बहुत लोग थे।

ऐसे थे भिखारी ठाकुर

भिखारी ठाकुर की तरह पेशेवर कलाकार कोई हुआ नहीं। वे नाच मंडली बनाये, गांव के साधारण कलाकारों को लेकर देश भर में तमाशा करने जाते रहे लेकिन उन्होंने कला और कलाकारों का मर्याद रखी। वे ऐसे ही कहीं जाकर, बिना बुलाये,अपना तमाशा प्रदर्शित नहीं करते थे। उनकी अपनी शर्तेंं होती थी। आप उन्हें बुलाइयेगा तो आनेजाने का प्रबंध बताइये यानी भाड़ा वगैरह। जहां तमाशा होना है, वहां रूकने, भोजनपानी का प्रबंध बताइये। कहने का मतलब कलाकार को पेशेवर होना ही चाहिए, उसकी अपनी शर्तेंं भी होनी चाहिए, यह अच्छी बात है। दरअसल बात तो यह है कि वह कहीं पेशेवर शर्तों पर जाकर डीलिवर क्या कर रहा है? सुना क्या रहा है? दिखा क्या रहा है? भिखारी अपनी शर्तों पर जाकर अपने मन का ​सुनाते-दिखाते थे। पब्लिक डिमांड को बदलते थे, पब्लिक ​डिमांड के अनुसार नहीं चलते थे।

जीवन का आखिरी आयोजन

उनके जीवन के आखिरी शो धनबाद के लाइकडीह कोलियरी का प्रसंग शायद आपको याद हो। वहां वह बुढ़ापे की अवस्था में मंच पर उतरे थे। सूदखोरों और माफियाओं के सौजन्य से आयोजन हुआ था। भिखारी मंच पर उतरे और कहने लगे कि “जेकरा बैल गाय भइंस के खोरहा बीमारी हो गईल बा ओकरा के हम सलाह देत बानी कि उ पांच गो सूदखोरन के नाम पीपर के पतई प लिख के आपन मवेशी के खिया देबे लोग। खोरहा दूर हो जाई सूदखोरन के नाम से। पाप, पाप के काट दिही। ” हंगामा मच गया था उनके जीवन के उस आखिरी आयोजन में। सूदखोर, जो आयोजक थे, पानी पानी होकर पानी मांग रहे थे।

फिर भिखारी ने बेटी बेचनेवालों को ललकारा। उन्होंने लोगों को कहा कि जो बेटी बेचे, समाज में उसका हुक्का पानी बंद करो। धनबाद के उस आयोजन का असर यह था कि धनबाद, जो कि सूदखोरों का सबसे बड़ा अड्डा था, वहां सूदखोरी के खिलाफ पहली बार कोई संगठन बना। और वहां से तमाशा देखकर लौटने के बाद लोगों ने अपनी बेटी नहीं बेचने का संकल्प लिया, जो बेचेगा उसे समाज से बहिस्कृत करने का संकल्प भी। समाज में अपने संवाद और गायन से बदलाव लाने वाले ऐसे थे भिखारी ठाकुर

बिहारनामा

भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि पर यह आयोजन है, आइयेगा तब नु सुनिएगा, जानिएगा, देखिएगा, बुझिएगा

ये भी पढ़े- मधुबनी पेंटिंग के लिए काबिल-ए-तारीफ़ है आपका ये कदम

Badhta Bihar News
Badhta Bihar News
बिहार की सभी ताज़ा ख़बरों के लिए पढ़िए बढ़ता बिहार, बिहार के जिलों से जुड़ी तमाम अपडेट्स के साथ हम आपके पास लाते है सबसे पहले, सबसे सटीक खबर, पढ़िए बिहार से जुडी तमाम खबरें अपने भरोसेमंद डिजिटल प्लेटफार्म बढ़ता बिहार पर।
RELATED ARTICLES

अन्य खबरें