नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर और पवन वर्मा को लेकर कह दी बड़ी बात

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन नेताओं को दो टूक जवाब दिया है जो नागरिकता संसोधन कानून का विरोध करते रहे हैं। सीएम नीतीश ने सीएए का विरोध कर रहे नेताओं से कहा कि जिसे जहां जाना है चला जाए, हमें कोई आपत्ति नहीं है। मेरी शुभकामनाएं साथ हैं। जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और पवन वर्मा के बयान पर नीतीश ने कहा कि उनका यह तरीका सही नहीं है। वे विद्वान व्यक्ति हैं। मैं उनकी इज्जत करता हूं। भले वे हम लोगों की इज्जत न करें। उन्हें किस पार्टी में जाना है, इस बात का अंतिम निर्णय उन्हीं का होगा। नीतीश ने आगे कहा कि कुछ लोगों के बयान से जदयू को नहीं देखना चाहिए। जदयू बहुत ही दृढ़ता से साथ अपना काम करती है। हम लोगों का स्टैंड साफ होता है। किसी भी मुद्दे को लेकर हम कनफ्यूज नहीं रहते हैं।

बैठक में करनी चाहिए चर्चा

सीएम नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर की तरफ ईशारा करते हुए कहा कि अगर किसी के मन में कोई बात है तो आकर बातचीत करनी चाहिए। मन में उठ रहे सवालों को लेकर पार्टी की बैठक में चर्चा करनी चाहिए। यह आश्चर्य की बात है कि वे इस तरह का वक्तव्य दे रहे हैं। वे कहते हैं कि मैंने मुलाकात के समय उनसे ये बात की थी। यह कोई तरीका नहीं है।

विदित हो कि सीएए के फैसले के खिलाफ प्रशांत किशोर लगातार आवाज उठाते रहे हैं। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया में कहा था कि नीतीश ने मुझसे कहा है कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा। प्रशांत ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सीएए और एनआरसी लागू करने की चुनौती दे दी थी। इसके बाद जदयू ने प्रशांत और पवन वर्मा के बयानों को अनुशासनहीनता माना है।

पत्र का जवाब नहीं दिया

ईधर, पूर्व सांसद पवन वर्मा ने सीएए पर पार्टी के फैसले के खिलाफ नीतीश कुमार को पत्र लिखा था। पूर्व सांसद ने मंगलवार को कहा था कि नीतीश ने अब तक एनआरसी और सीएए पर पार्टी का रुख स्पष्ट नहीं किया है। उन्हेंए इस ज्वसलंत मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। नीतीश ने मेरे पत्र का जवाब नहीं दिया है। पत्र का जवाब देने के बाद तय करूंगा कि पार्टी में रहूंगा या नहीं। दरअसल, पवन वर्मा नहीं चाहते थे कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में जदयू भाजपा के साथ चुनावी मैदान में उतरे। उन्होंने इसके खिलाफ नीतीश को लिखे पत्र में अपनी बात रखी थी।

गुरुवार को पवन ने कहा कि जदयू का भाजपा के साथ गठबंधन बिहार तक सीमित था। इसे दिल्ली में विस्तार दिया गया। मैंने तो यही प्रश्न किया था कि क्या यह फैसला पार्टी में विचार-विमर्श और वैचारिक स्पष्टीकरण के बाद लिया गया? इसी बात को लेकर पार्टी के भीतर घमासान मचा हुआ है। हालांकि, अबतक नीतीश कुमार इन सभी मुद्दों पर खुलकर बोलने से बचते रहे थे लेकिन उन्होंने साफ शब्दों में पार्टी के इन बागी नेताओं को कहा है कि वे किसी भी पार्टी में जाने को स्वतंत्र हैं।

बता दें प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने बुधवार को कहा था कि वे इस मामले पर सीएम और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से बात करेंगे। पवन हो या प्रशांत, इनकी जदयू के निर्माण में कोई भूमिका नहीं है। अगर उन्होंने किसी जगह जाने का मन बना लिया है तो स्वतंत्र हैं। उनके बयानों को देख कर लगता है कि वे दूसरी पार्टी के संपर्क में हैं। दिल्ली में जदयू-भाजपा और लोजपा का गठबंधन हो गया तो इसमें गलत क्या है? सीएए पर पार्टी का स्टैंड साफ है।

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