पटना। बिहार में बाढ़ से आधे दर्जन जिले के लोगों के रोज का निवाला ही छीन गई। 33 प्रतिशत फसल बर्बाद वाले प्रखंडों की संख्या भले 234 प्रखंड हो लेकिन 105 प्रखंड ऐसे हैं जहां किसानों को अनाज के लिए अब अगली फसल का ही इंतजार करना होगा। उनकी पूरी फसल बाढ़ में डूब गई। ऐसे किसानों की निगाहें, अब सरकारी सहायता पर ही टिकी है। राज्य में इस बार खरीफ मौसम में 36.76 लाख हेक्टयर में खेती हुयी।
धान की खेती 32.78 लाख हेक्टेयर और मक्के की 3.98 लाख हेक्टेयर में हुई। बाढ़ ने जिन फसलों को 33 प्रतिशत से अधिक बर्बाद किया उसका रकबा 7.53 लाख हेक्टेयर है। यानि कुल रकबे का लगभग 22 प्रतिशत भाग बाढ़ से प्रभावित हुआ। लेकिन अगर प्रखंडों में हुई खेती के अनुसार गणना करें तो सौ से अधिक ऐसे प्रखंड है जहां की खेती पूरी तरह चौपट हो गई।
कुल खेती का 22 प्रतिशत फसल बर्बाद
आधा दर्जन जिले ऐसे हैं जहां जितनी खेती हुई उसकी 70 से 90 प्रतिशत तक फसल चौपट हो गई। दरभंगा जिले में जितने रकबे में धान और मक्का की खेती हुई, उसका 90 प्रतिशत भाग चौपट हो गया। मुजफ्फरपुर में 81 प्रतिशत तो खगड़िया में 74 प्रतिशत फसल नष्ट हो गई। इसके अलावा सहरसा, पूर्वी और पश्चिमी चम्पारण जिलों में भी नुकसान का प्रतिशत 60 से ऊपर है। राज्य में इस बार बाढ़ की अवधि काफी लंबी रही। धान की रोपनी खत्म होते ही आर्द्रा नक्षत्र से बाढ़ शुरू हो गई। अगस्त तक फसल खेतों में डूबी रही। ऐसे में पौधे भी छोटे थे और पानी भी ज्यादा दिन टिका, लिहाजा फसल को बचाना कठिन हो गया।
कई जिलों में 90 प्रतिशत तक के नुकसान की आशंका
इस बार खरीफ की रोपनी समय पर हो गई थी। समय पर मानसून के आने के कारण किसानों ने खूब मेहनत की और धान के साथ मक्के की खेती भी बढ़े उत्साह से की लेकिन उनकी यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिकी। अभी पूरी तरह धान की रोपनी हुई भी नहीं हुई कि बाढ़ ने दस्तक दे दी। वैशाली, सारण, सीवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, कटिहार, शिवहर, भागलपुर, सीतामढ़ी, मधेपुरा, सहरसा, अररिया और पूर्णिया बाढ़ से प्रभावित जिले हैं।
इस बावत बताया गया कि आपदा प्रबंधन के प्रावधान के मुताबिक 68 सौ रुपए प्रति हेक्टेयर असिंचित क्षेत्र में फसल नष्ट होने पर,13 हजार 500 प्रति हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र में फसल नष्ट होने पर,18 हजार प्रति हेक्टेयर पेरेनियल (सलाना) फसल में, 12 हजार 200 रुपए प्रति हेक्टेयर तीन फीट बालू जमा होने पर, 39 हजार प्रति हेक्टेयर जमीन की व्यापक क्षति होने पर आपदा प्रबंधन विभाग कुछ सहायता कर सकती है।