भारत के खिलाफ नेपाल की चाल बिगड़ गई है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा लाया गया संशोधित नक्शा संसद द्वारा खारिज कर दिया गया है। ऐसे में भारत के खिलाफ नेपाल प्रधानमंत्री के चाल को बड़ा धक्का लगा है। इस नक्शे को लेकर जनता में भी काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
नेपाल के प्रधानमंत्री द्वारा नेपाल का नया नक्शा संसद में पेश किया गया। उस प्रस्ताव को संसद ने नकार दिया है। इस नक्शे में भारत के कुछ हिस्से को नेपाल का दिखाया गया है। वहीं नेपाली प्रधानमंत्री ने कहा था कि ये नक्शा हम संसद में पेश करेंगे। भारत हमारे हिस्से पर अपना अधिकार दिखाता है। जो कि हमारा हिस्सा है। इसको लेने के लिए हम राजनीतिक और कूटनीतिक कदम उठाएंगे।
नेपाल में इसके साक्ष्य के लिए एक कमेटी बनाई
इसी क्रम में नक्शे से संबंधित एक प्रस्ताव नेपाल के संसद में पेश किया गया। जिसका कि नेपाली जनता ने भी विरोध किया है। पहले तो यह प्रस्ताव सत्ता पक्ष संसद में बड़ी मशक्कत से पेश कर पाया। उसके बाद यह प्रस्ताव संसद में पास नहीं हो सका है। इस संबंध में ओली सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि संशोधित नक्शा के लिए साक्ष्य की आवश्यकता होती है। ऐसे में हम जल्द ही साक्ष्य के साथ प्रस्ताव लाएंगे। हमने पहले साक्ष्य एकत्र नहीं किया था। इसके लिए एक कमेटी बना दी गई है। जो कि साक्ष्य के संबंध में काम करेगी।
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नेपाल सरकार के प्रवक्ता युवराज खतिवडा ने कैबिनेट के फैसले पर बयान दिया है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सरकार भारत के साथ सीमा विवाद पर ठोस प्रमाण लाएगी। इसके लिए प्रमाण जुटाने के लिए 9 सदस्यों की एक कमेटी बना दी गई है। इस समिति के अध्यक्ष नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉक्टर विष्णुराज उप्रेती को बनाया गया है। समिति में सीमा विशेषज्ञ, अंतराष्ट्रीय कानून के विशेषज्ञ और भूगोल विज्ञान के विशेषज्ञ को रखा गया है।