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देश के महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन, दिखी सरकार की बड़ी लापरवाही

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देश-दुनिया में गणित के फॉर्मूले का लोहा मनवाने वाले बिहार के महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का आज पटना के पीएमसीएच में निधन हो गया है। 77 वर्षीय श्री सिंह पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके मौत की खबर मिलते ही बिहारवासियों में शोक की लहर दौड़ गयी है। देश के इस महान गणितज्ञ के पार्थिव शरीर को ले जाने के लिए बिहार सरकार और पीएमसीएच की तरफ से एक एंबुलेंस तक की भी व्यव्स्था नहीं की गयी है। काफी समय तक उनका पार्थिव शरीर अस्पताल के ब्लड बैंक के पास रखा रहा। वहां परिजनों के अलावा कोई मौजूद नहीं था। अस्पताल प्रबंधन ने वशिष्ठ नारायण के परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट बनाकर दे दिया। एंबुलेंस न मिलने पर उनके परिजन निजी वाहन से उनके पार्थिव शरीर को घर ले गए।

सरकार की लापरवाही आई सामने

इस खबर से जहां एक ओर बिहार में गम का माहौल है वहीं, दूसरी ओर इतने बड़े गणितज्ञ के शव के साथ बिहार सरकार की लापरवाही और पीएमसीएच की संवेदनहीनता सामने आयी है। इसे श्री सिंह का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इनके जीते जी जहां सरकार और लोगों ने इनकी प्रतिभा की कद्र नहीं की, वहीं निधन के पश्चात बिहार के इस विभूति के शव को एक एंबुलेंस मुहैया कराने के लिए प्रशासन के साथ-साथ पीएमसीएच ने हाथ खड़ा कर दिया।

सीएम नीतीश कुमार सहित अन्य नेता ने श्रद्धांजलि अर्पित की

हालांकि बाद में खुद मुख्यमंत्री के साथ तमाम नेता श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना शोक जताते हुए वशिष्ठ नारायण सिंह को महान विभूति बताया और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। जहां सीएम नीतीश कुमार ने शोक-संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि वशिष्ठ बाबू ने अपने साथ बिहार का नाम रोशन किया है। वहीं वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शोक जताया है और कहा है कि वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है

कॉपी-पेंसिल ही थीं सबसे अच्छी दोस्त

कहा जाता है कि अमरीका से वह अपने साथ 10 बक्से किताबें लाए थे, जिन्हें वह पढ़ते रहते थे। बाकी किसी छोटे बच्चे की तरह ही उनके लिए तीन-चार दिन में एक बार कॉपी, पेंसिल लानी पड़ती थी। उन्होंने छठी क्लास में नेतरहाट के एक स्कूल में कदम रखा, तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखें। उस दौड़ में एक गरीब घर का लड़का हर क्लास में कामयाबी की नई इबारत लिख रहा था। वे पटना साइंस कॉलेज में पढ़ रहे थे कि तभी किस्मत चमकी और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी। जिसके बाद वे 1965 में अमेरिका चले गए और वहीं से 1969 में उन्होंने PHD की।

सिज़ोफ्रेनिया जैसी मानसिक बिमारी से थे पीड़ित

बता दें कि तकरीबन 40 साल से वे मानसिक बीमारी सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित थे। महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह पटना के एक अपार्टमेंट में गुमनामी का जीवन बिता रहे थे। वशिष्ठ नाराय़ण सिंह अपने परिजनों के संग पटना के कुल्हरिया कंपलेक्स में रहते थे। बताया जा रहा है कि आज उनकी तबियत खराब होने लगी, जिसके बाद तत्काल परिजन पीएमसीएच लेकर गए जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

बता दें, गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह जी के जीवन पर बॉलीवुड फिल्म निर्माता प्रकाश झा ने हाल में एक फिल्म बनाने की घोषणा की थी। इनके जीवन पर आधारित फिल्म निर्माण की जानकारी फिल्म निर्माता प्रीति सिन्हा, सह निर्माता नम्रता सिन्हा और अमोद सिन्हा ने एक प्रेस कॉन्प्रेस के जरिए दी थी। प्रीति सिन्हा ने कहा था कि वशिष्ठ नारायण सिंह की बायोपिक को लोगों के सामने आना चाहिए, जिससे लोग उन्हें जान सकें। यही कारण है कि उनकी अनटोल्ड स्टोरी को हम बायोपिक के जरिए पर्दे पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए हमने उनके परिवार से राइट ले लिया है और उनकी बायोपिक को बिहार के ही जाने-माने निर्देशक प्रकाश झा निर्देशित करेंगे।

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विलक्ष्ण प्रतिभा के धनी वशिष्ठ बाबू

गौरतलब है कि वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1942 को बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गांव में हुआ था। विलक्ष्ण प्रतिभा के धनी वशिष्ठ नारायण ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका में एक एसोसिएट साइंटिस्ट प्रोफेसर के रूप में नासा में भी शामिल हुए थे। सन् 1972 में वे भारत लौट आए और IIT, कानपुर में लेक्चरर के रूप में शामिल हुए। अगले पांच वर्षों के दौरान, उन्होंने आईआईटी कानपुर, टीआईएफआर, मुंबई और आईएसआई, कोलकाता में भी पढ़ाया।

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