पिछले कई दिनों से देश में टिड्डी दल का पूरे भारत में आतंक है। देश के पश्चिमोत्तर प्रांत में टिड्डी अपना प्रभाव दिखाना शुरु कर दिया है। राजस्थान, हरियाणा, गुजरात में टिड्डी दल का भयंकर प्रकोप देखा गया है। इसके प्रकोप से फसलों एवं पेड़-पौधों को काफी नुकसान हुआ है। अब टिड्डी दल का प्रभाव पूरब से पश्चिम प्रांत के ओर बढ़ रहा है। पूरब की ओर उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में बढ़ रहे हैं। इसके बाद इनका प्रकोप पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में पड़ने की संभावनाएँ हैं। टिड्डी दल पेड़-पौधे, शाक सब्जियों एवं फसलों को खाकर भयंकर क्षति पहुँचा सकते हैं। बिहार सरकार ने इसको लेकर सूचना जारी कर दी है। सरकार कृषि विभाग ने उससे बचाव के उपाय भी जारी किए हैं।
काली आकृति के टिड्डी चमकीले पिले रंग की होते हैं। ये टिड्डे उम्रदार होते हैं। समूहशील टिड्डी 30 दिन में व्यस्क हो जाती है। इनसे नियंत्रण के लिए समय पर टिड्डी की जानकारी होना आवश्यक है। टिड्डी दल दिन में सूरज की चमकीली रोशनी में झुण्डों के रूप में उड़ते हैं। शाम के समय वे झाड़ियों व पेड़ों पर आराम करते हैं।
टिड्डी से बचाव के उपाय
सरकार ने टिड्डी से बचाव के लिए अपने उपाय जारी किए हैं:-
- ढोल, नगाड़ों, टीन के डिब्बों, थालियों आदि बजाकर शोर मचायें। शोर से टिड्डी दल आस-पास के खेतों में आक्रमण नहीं करते हैं।
- कृषि रक्षा रसायनों, स्प्रेयर्स एवं ट्रैक्टर्स आदि की व्यवस्था कर ली जाये।
- टिड्डी दल प्राय: दिन डूबने पर पेड़ पौधों पर दिन निकलने तक आश्रय लेती हैं।
- टिड्डी दल के प्रकोप की सूचना कृषि विभाग के सभी स्तर के अधिकारियों को तत्काल पहुँचाया जाये।
- रसायन के छिड़काव के लिए रात्रि के 11 बजे से सुबह सूर्योदय तक होता है।
किसानों के द्वारा कीटनाशिकों के छिड़काव का तरीका:-
- लैम्बडासायहेलोथ्रीन 5 ई.सी. की 1.0 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में।
- क्लोरपायरीफॉस 20 ई.सी. की 2.5 से 3.0 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में।
- फिपरोनिल 5 ई.सी. की 1.0 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में।
- डेल्टामेंथ्रीन 2.8 ई.सी. की 1.0 से 1.5 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में।
टिड्डी दल कि सूचना सरकार को किसान कॉल सेंटर के टॉल फ्री नं- 18001801551 पर सूचित करें। इसी सूचना कृषि विभाग के वेबसाईट www.krishi.bih.nic.in देखा जा सकता है।
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