बिहार की राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में मंगलवार को विजयदशमी की धूम रही, साथ साथ बिहार की राजनीति भी नया मोड़ ले रही है। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान समेत बिहार के सभी जिला में रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विजयादशमी पर रावण दहन कार्यक्रम के दौरान गांधी मैदान में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा सहित कई नेता तो मौजूद रहे लेकिन भारतीय जनता पार्टी का कोई भी नेता इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं रहा। उनके लिए लगाई गई कुर्सियां खाली रह गई। बता दें कि पिछले साल नीतीश कुमार के साथ सुशील मोदी भी कार्यक्रम में शिरकत किए थे।
63 वर्षों से रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन
गौरतलब है कि गांधी मैदान में 63 वर्षों से रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है। गया जिला के कलाकारों द्वारा रावण, मेघनाथ और कुंभकरण का पुतला बनाया गया। रावण के पुतले की लंबाई 75 फीट, कुंभकरण की 70 फीट और मेघनाथ की 65 फीट थी, जो कि लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा।
बता दें कि विजयादशमी पर रावण दहन से पहले रामलीला का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्रीराम और सीता का पूजा किया। इस कार्यक्रम में बीजेपी नेता व बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी शामिल नहीं हुए। हालांकि बाद में यह कहा गया कि सुशील मोदी पटना में नहीं थे और मंगलवार देर रात ही वे पटना लौटे हैं।
भाजपा-जदयू की नई रणनीति, विरोधियों को कर देगी चित्त
ज्ञात हो कि पटना में भीषण जल प्रलय को लेकर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और बीजेपी के बीच मतभेद गहराए नजर आ रहे हैं। दोनों पार्टियों की ओर से विरोधी बयान दिए जा रहे हैं। सीएम नीतीश कुमार ने भी कुछ दिन पहले जदयू राज्य परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए बीजेपी के बड़बोले नेताओं को आड़े-हाथों लिया था। साथ ही बीजेपी नेता गिरिराज सिंह को नो कमेंट जोन में दाल दिया गया था।
बिहार की राजनीति और बयानबाजी
उन्होंने कहा था कि इन नेताओं को बयानबाजी करके गठबंधन को कमजोर नहीं करना चाहिए। हालांकि, नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि एनडीए पूरी तरीके से एकजुट है और जो कोई भी खटपट करेगा वह 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद कहीं का नहीं रहेगा। अपने संबोधन के दौरान नीतीश कुमार ने किसी भी बीजेपी नेता का नाम नहीं लिया लेकिन उनकी नाराजगी बीजेपी के नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के लिए साफ दिखी।