बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के पहले विपक्षी महागठबंधन के घटक दलों के बीच की आपसी खटपट की खबरें अभी से ही आ रही हैं। महागठबंधन दलों की आपसी खटपट का ताजा मामला हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय जनता दल के खिलाफ बयानबाजी का है। बता दें कि ‘हम’ के मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सोमवार को कहा कि आरजेडी महागठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में जरूर है, लेकिन वह बड़े भाई की भूमिका निभा नहीं पा रहा है। ऐसी ही स्थिति रही तो महागठबंधन के घटक दल मार्च के बाद कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
जीतनराम मांझी यहीं नहीं रुके, वे अपनी शिकायत के पिटारे को खोलते हुए महागठबंधन में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के उस बयान पर भी आपत्ति दर्ज की, जिसमें उन्होंने कहा था कि महागठबंधन के नेता केवल लालू प्रसाद यादव हैं, और जिसे यह नहीं स्वीकर नहीं, वे बाहर जा सकते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि मांझी ने नाम लिए बगैर आरजेडी सु्प्रीमो लालू प्रसाद यादव को धमकी माना जा रहा है।
अपनी बात से मुकरना आरजेडी की आदत
बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि आरजेडी ने कांग्रेस को राज्यसभा की एक सीट देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अंतिम समय में एक व्यवसायी को टिकट दे दिया गया। सभी अवगत हैं कि उन्हें किस कारण राज्यसभा भेजा जा रहा है। ऐसे ही हालात रहे तो आने वाले दिनों में आरजेडी की महागठबंधन में बड़ा भाई वाली भूमिका बदल सकती है। मांझी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वे महागठबंधन में आरजेडी के मित्र हैं और इस हैसियत से उसकी गलती को बताते रहते हैं।
मांझी की खुली चेतावनी, अगर आरजेडी ने अपना तेवर नहीं बदला, तो मार्च बाद लेंगे बड़ा फैसला
महागठबंधन के घटक दल के नेता मांझी ने कहा कि कोआर्डिनेशन कमिटी का गठन हो और चाहे महा गठबंधन का नेतृत्व हो, मुख्यमंत्री उम्मीदवार हो या आंदोलन, कोई भी फैसला सबकी सहमति से हो। लेकिन आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह कहते हैं कि लालू यादव ही महागठबंधन के नेता हैं, और तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री उम्मीदवार। वे यह भी कहते हैं कि जिसे यह स्वीकार नहीं हो वह महागठबंधन से बाहर जा सकता है। मांझी ने कहा कि आरजेडी नेतृत्व को इस रवैये में बदलाव करना होगा। अगर यही रवैया रहा तो मार्च के बाद घटक दल विकल्प तलाशने को मजबूर हो जाएंगे।
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