समझ नहीं आ रहा कि इस घटना को आखिर क्या कहा जाए, लापरवाही या फिर जान-बूझकर किया गया अपराध। होम क्वारेंटाइन के लिए भेजे गये प्रवासी या तो अपने घर से फरार हैं या नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। कुल 9173 प्रवासियों की स्क्रीनिंग की जा रही है। जिसमें 340 लोग घर में नहीं मिले। यह घटना दरअसल, बिहारशरीफ की है। विदित हो कि होम क्वारंटिन के लिए भेजे गये 198 लोगों ने जो पता लिखाया था वह गलत निकला। सर्वेयर लिखाये गये पता से बैरंग लौट आया। आश्चर्य की बात तो यह है कि 19 लोग गांव में ही नहीं मिले। 42 लोग ऐसे थे जो होम क्वारेंटाइन के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। अब इन लोगों का पता कैसे लगाया जाए, यह प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है।
कुछ लोगों का मूर्खतापूर्ण रवैया अन्य के लिए बन रहा खतरा
इसमें कोई शक नहीं कि कुछ लापरवाह और मूर्ख लोगों की ये गलती खुद के साथ-साथ दूसरों के लिए भी खतरा बन रहे हैं। डीआईओ डा. अरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि 8573 लोग होम क्वारेंटाइन के नियमों का पालन करते मिले। इस फॉड के सामने आते ही बीते गुरुवार से डोर टू डोर स्क्रीनिंग शुरू की गयी है। स्क्रीनिंग के दौरान सबसे बड़ी समस्या कुछ लोगों द्वारा नियमों का पालन नहीं करना और कुछ लोगों का घर से लापता रहना व पता ही गलत निकलना है। हालांकि, इस डोर टू डोर स्क्रीनिंग का बेनिफिट भी सामने आने लगा है। इस प्रक्रिया के दौरान शुक्रवार को दिल्ली से आये एक व्यक्ति में कोरोना का लक्षण पाया गया। राहत की बात यह थी कि उक्त व्यक्ति होम क्वारेंटाइन के नियमों का पालन कर रहा था। स्वास्थ्य विभाग ने उक्त व्यक्ति का सैंपल लेने के साथ-साथ आइसोलेशन में रखकर इलाज शुरू कर दिया है। दिल्ली से आये व्यक्ति करायपरसुराय प्रखंड के एक गांव का है और उसकी उम्र 45 साल है।
कुल 138 लोगों का बीते गुरुवार को लिया गया सैंपल
गुरुवार को एक साथ 13 पॉजिटिव केस मिलने के साथ उनके क्लोज कान्टेक्ट वाले लोगों का सैंपल लिया जा रहा है। शनिवार को 138 लोगों का सैंपल लिया गया। जिसमें पॉजिटिव मरीज के संपर्क वाले 33 लोग शामिल हैं। 105 अस्थावां और रहुई का सैंपल है। संपर्क में आने वाले लोगों में डीआरसीसी से 24, पुलिस लाइन से 3, बीड़ी श्रमिक अस्पताल से 6 लोग शामिल हैं। इस घटना के सामने आने के बाद पुलिस व प्रशासन दोनों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। साथ ही यह आमजनों के लिए भी चिंता का विषय बन चुका है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस घटना ने सिस्टम की लापरवाही व गैरजिम्मेदाराना रवैया की पोल खोलकर रख दिया है। बिहारशरीफ की यह घटना पुलिस-प्रशासन के साथ-साथ हेल्थ डिपार्टमेंट को भी कटघरे में खड़ा करती है।
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उल्लेखनीय है कि अगर गायब हुये इन व्यक्तियों को होम क्वारंटीन के लिए भेजे जाने के पहले इनके आधार कार्ड या फिर कोई भी पहचान पत्र लिया जाता तो आगामी दिनों में आनेवाला खतरों से बचा जा सकता था। सिस्टम की इतनी बड़ी चूक कहीं-न-कहीं यह साबित करती है कि कोरोना जैसे घातक वायरस को लेकर अबतक हमारी विधि व्यव्स्था और हेल्थ डिपार्टमेंट गंभीर नहीं हुयी है।