यह मामला TISS द्वारा एक अनुबंध के तहत सौंपी गई रिपोर्ट के बाद उजागर हुई थी। मई 2018 में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज ने बिहार सरकार को सौंपी थी। इस रिपोर्ट के अनुसार में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में अनेक अनियमितता पाई गई थी। फ़िलहाल, TISS के रिपोर्ट को मानते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने 8 बालिकाओं को उनके घरवालों को सौंपने का आदेश दिया है। लेकिन, घरवाले उन्हें पुनः परिवार में शामिल करने को लेकर उदासीन नज़र आ रहे है। अनेक बच्चियां फ़िलहाल सदमे की स्तिथि में है।
किन वजहों से सुनवाई पूरी होने से पहले आई निर्देश
‘कोशिश’ के द्वारा हाल ही में एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी। साथ ही ये भी कहा कि 8 लड़कियों को परिवार वालो को सौंपा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार तक बाल कल्याण समिति और बिहार सरकार को अपना जवाब देने को कहा था। ‘कोशिश’ ने कुछ परिवारों से संपर्क की कोशिश भी की थी।
आपको यह भी याद दिला दे की जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने ‘कोशिश’ को परिवार वालों से संपर्क साधने की अनुमति दी थी। बिहार सरकार से जवाब आने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने ताज़ा निर्देश दिए है। गौरतलब रहे कि ‘कोशिश’ TISS की ही एक अनुषंगी इकाई है। यह संस्था जमीनी स्तर पर काम करती है।
कैसे हुई खुलासा, जानिए कालक्रम से
जून 2018 : मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर गिरफ्तार। साथ ही अन्य 8 अन्य आरोपी भी हुए गिरफ्तार।
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