बिहार में शराब आम नागरिकों के लिए पूरी तरह से बैन है। ऐसे में पुलिस अवैध शराब खरीदने और पीने वालों पर नज़रें बनाए रखती है। लेकिन पुलिस ही शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ाते देखे जा रहे है। कैमूर पुलिस ने कुदरा थाना के दारोगा (सब इंस्पेक्टर) सहित चार लोगों को शराब की बोतलों के साथ गिरफ्तार किया है। इसमें दिलचस्प बात तो ये है कि एक कैदी ने पुलिस को इस बात की सूचना दी थी।
शराब की बोतलों के साथ गिरफ्तार दारोगा का नाम ओमप्रकाश सिंह है। इनके पास से चार विदेशी शराब की बोतल बरामद की गई है। कैमूर जिला के पुलिस अधीक्षक दिलनवाज अहमद ने शनिवार को बताया कि बिहार में शायद यह पहला मामला है कि जहां मारपीट के एक आरोपी ने पुलिस को सूचना देकर दारोगा को गिरफ्तार करवाया है।
कैदी ने इसकी सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को दी
पुलिस अधीक्षक दिलनवाज अहमद ने बताया कि कुदरा थाना के दारोगा ओमप्रकाश सिंह घटांव गांव में हुई मारपीट की घटना के आरोपी और घायल कामता प्रसाद यादव व ओम प्रकाश सेठ को वाराणसी स्थित ट्रामा सेंटर से लेने गए थे। दारोगा जब शुक्रवार की शाम एक गाड़ी से दोनों आरोपियों को लेकर वापस कुदरा लौट रहे थे, तभी रास्ते में उन्होंने चार बोतल शराब खरीदकर अपनी गाड़ी में रख ली। इसी दौरान कैदी ने इसकी सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को दे दी।
कैमूर जिला के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कैसी की सूचना के आधार पर दुर्गावती व मोहनियां के बीच दारोगा की गाड़ी की जांच की गई, जिसमें से चार बोतल शराब बरामद हुई। उन्होंने बताया कि गाड़ी में सवार दारोगा ओमप्रकाश सहित दो चौकीदार और चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है। दरोगा के गाड़ी चालक ने बताया कि रास्ते में उन्होंने 12 सौ रुपये देकर चार बोतल शराब लाने का आदेश दिया। मना करने के बावजूद जब एएसआइ नहीं माने तो चालक को आदेश मानना पड़ा।
बढे हैं अवैध रोज़गार के अवसर
यह समाचार पढ़कर अंदाजा लगाया जा सकता है की वो नौ लाख लीटर शराब का चूहे का पी जाना कितना सच हो सकता है। यह भी अंदाजा लगे जा सख्त यही की बिहार सरकार का शराबबंदी क़ानून कितना सफल हो पा रहा है। शराबबंदी से कुछ लोगो को फायदा अवश्य हुआ है। इससे कुछ अवैध रोज़गार के अवसर भी बढे हैं।