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पटनावासी हो जाएं सावधान हवा के साथ पानी भी दूषित, जानें क्या हो सकती है परेशानी

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बिहार की राजधानी पटना का यह दुर्भाग्य ही है कि हवा के साथ-साथ अब पानी भी दूषित चुका है। देश के सबसे दूषित पानी वाले टॉप-10 शहरों में पटना के शामिल होते ही पटना के पानी को लेकर तरह -2 की चर्चा शुरू हो गई है। बीते हफ्ते एयर इंडेक्स की जारी रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण में पटना देशभर में तीसरे स्थान पर रहा था।

पीने लायक नहीं पटना का पानी, हवा भी दूषित

ऐसा पहली बार नहीं है जब पटना के पानी में खतरनाक बैक्टीरिया होने की बात सामने आई है। इससे पहले भी कई बार पटना के पानी में ई-कोलाई, कोलीफॉर्म ग्रुप के बैक्टीरिया और सिडोमोनास बैक्टीरिया के मिलने की पुष्टि हो चुकी है। बात अगर पटना की हवा के गुणवत्ता की, कि जाए तो छठ महापर्व के बाद से पटना सहित गया और मुजफ्फरपुर की हवा में प्रदूषण का स्तर घटा है, लेकिन सेहत के लिए अभी भी बहुत खराब स्तर पर है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार पीएम 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम होना चाहिए, लेकिन पटना में रविवार को 309 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकॉर्ड किया गया है।

एएन कॉलेज के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के शोधकर्ता डॉ. मनीष कंठ ने बताया कि विभागाध्यक्ष डॉ। सुशील कुमार सिंह के निगरानी में बीते अगस्त में नयाटोला, फुलवारीशरीफ, बोरिंग रोड, शिवपुरी, कंकड़बाग, राजापुर पुल, आकाशवाणी, आशियाना रोड, खाजपुरा, इंद्रपुरी, कंकड़बाग व राजेंद्रनगर से पानी के 26 से अधिक नमूने लिए गए थे। इसमें 17 नमूने पीने योग्य नहीं मिले। इनमें कोलीफॉर्म, इंटेरोबैक्टीरिया, क्लेबसिला, सालमोनेला आदि पाए गए हैं, जो काफी खतरनाक है।

बता दें, राजधानी के प्रतिष्ठित एएन कॉलेज की ओर से करीब दो वर्ष पहले राजधानी के चापाकल व नल के साथ गंगा के पानी का भी सैंपल लिया गया था। पानी के लिए गए सैंपल को लेकर कहा गया था कि यह पीने योग्य तो दूर छूने के लायक भी नहीं है। इस पानी में सिडोमोनास जैसे खतरनाक बैक्टीरिया हैं। इससे ग्रसित मरीज पर नॉर्मल दवा असर नहीं करती है। इससे सेप्टीसीमिया, टायफाइड फीवर, बी-कोलाई, पेट की गड़बड़ी सहित कई अन्य गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।

राजधानी की हवा अब भी प्रदूषण खतरनाक स्तर पर

पटना में छठ महापर्व के पहले एक नवंबर को पीएम2.5 का स्तर 357 माइक्रोग्राम था, जबकि तीन नवंबर को अचानक बढ़कर 448 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पहुंच गया था। नवंबर के पहले सप्ताह में पटना के पीएम 2.5 का स्तर 400 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकॉर्ड किया गया था। नवंबर के दूसरे सप्ताह में धीरे-धीरे पीएम 2.5 का स्तर घटकर 309 पहुंच गया। रविवार को गया का पीएम 2.5 का स्तर 188 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकॉर्ड किया गया जबकि मुजफ्फरपुर का पीएम 2.5 स्तर 315 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा।

राजधानी के वायु प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 प्रति घनमीटर में

         तिथि           सामान्य          दर्ज

  • 17 नवंबर     – 60           – 309
  • 16 नवंबर     – 60           – 306
  • 15 नवंबर     – 60           – 342
  • 14 नवंबर     – 60           – 389
  • 13 नवंबर     – 60           – 367
  • 12 नवंबर     – 60           – 342
  • 11 नवंबर      – 60           – 333
  • 10 नवंबर     – 60           – 312
  • 09 नवंबर    – 60            – 294

पटना की वायु गुणवत्ता सबसे खराब, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट

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