पटना। राज्य के पशु और मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने बताया कि बिहार में मत्स्य विकास की अपार संभावनायें हैं। रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार एवं दूरदर्शन द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना विषय पर आयोजित बेबीनार के अवसर पर संबोधित करते हुए मंत्री द्वारा बताया गया कि बिहार में मत्स्य विकास की अपार संभावनायें हैं।
राज्य में जलश्रोत के रूप में काफी संख्या में तालाब, आर्द्र भूमि, जलाशय उपलब्ध हैं
राज्य में जलश्रोत के रूप में काफी संख्या में तालाब, आर्द्र भूमि, जलाशय एवं सदाबहार नदियां उपलब्ध हैं। बिहार में कृषि रोड़ मैप लागू होने के बाद मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में बहुत ही तेजी से विकास हुआ है। बढ़ती जनसंख्या से उत्पन्न गुणवत्तापूर्ण पोषण की मांग और ग्रामीण बेरोजगारी जैसी समस्या के निदान के लिए मत्स्य पालन को एक नये अवसर के रुप में देखा जा रहा है। डाॅ कुमार ने बताया कि बिहार प्राकृतिक संसाधनों से आच्छादित राज्य है, जहां 93 हजार 296 हे तालाब, 9 लाख 40 हजार हे आर्द्र जलक्षेत्र, 26 हजार 303 हे जलाशय, 9000 हे तथा 3200 किमी नदियां हैं।
राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि है
चुकी बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, इसलिये राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि ही है। राज्य की तरक्की किसानों से ही होनी है। बिहार में मत्स्य विकास की अपार संभावनायें हैं। विगत 6-7 वर्षों से मत्स्य उत्पादन में 10 प्रतिशत की वार्षिक दर से सतत् वृद्धि दर्ज की गयी। देश में मीठा पानी के मछली उत्पादन में राज्य का चौथा स्थान है। अभी बिहार में वर्तमान मछली का उत्पादन 6.02 लाख टन है जबकि 6.42 लाख टन की खपत होती है।
इसी प्रकार 1,695 मिलियन मत्स्य बीज के लक्ष्य के विरूद्ध लगभग 1058 मिलीयन शुद्ध मत्स्य बीज का वार्षिक उत्पादन हो रहा है। प्रति व्यक्ति राज्य में मछली की वार्षिक उपलब्धता 8.82 किलो ग्राम है, राष्ट्रीय औसत 10 किलोग्राम है जबकि प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति को 11.2 किलोग्राम मत्स्य की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में अभी हाल ही में भारत सरकार द्वारा मात्स्यिकी के समग्र विकास हेतु प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना स्वीकृत की गई। इसके लिए 20 हजार करोड़ रूपया का प्रावधान किया गया। बिहार देश के उन अग्रणी राज्यों में है जिसने सबसे पहले प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत योजना बनाकर भारत सरकार को भेजा तथा केन्द्र सरकार द्वारा तुरंत बिहार के लिए 107 करोड़ की योजना की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी।
बिहार कैबिनेट के द्वारा भी इसकी स्वीकृति दे दी गई
बिहार कैबिनेट के द्वारा भी इसकी स्वीकृति दे दी गई। अब इस योजना के तहत आवेदन भी प्राप्त किया जा रहा है। पांच वर्षो तक (2020-21 से 2024-25) चलने वाले इस योजना में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता, आधारभूत संरचना एवं रेगुलेटरी फ्रेमवर्क (संरचना नियामक) जैसे क्षेत्रों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना यथा-मत्स्य हैचरी का निर्माण, तालाब/रियरिंग का निर्माण, बायोफ्लाॅक, आरएएस, कोल्ड चेन, केज कल्चर, चैर विकास योजना, वेटलैंड स्टाॅकिंग आदि की योजनाएं कार्यान्वित की जायेगी। प्रधानमंत्री द्वारा इसका शुभारम्भ भी कर दिया गया।
डाॅ कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का बिहार को सबसे अधिक लाभ होगा क्योंकि बिहार में मत्स्य उत्पादन के विकास की असीम संभावनाएं है। राज्य में लगभग 9 लाख 40 हजार हेक्टेयर चौर क्षेत्र है जहां लगभग सालों भर पानी लगा रहता है। इस चौर क्षेत्र को मत्स्य पालन के लिए विकसित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
राज्य सरकार अपने स्तर से इसके लिए योजना भी बनाई परन्तु प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के लागू होने के फलस्वरूप इसका तेजी से विकास होगा। 9 लाख 40 हजार हेक्टेयर को यदि मत्स्य पालन के क्षेत्र में परिवर्तित करने से बिहार मत्स्य पालन के क्षेत्र में देश में पहला नंबर पर आ जायेगा। इस दिशा में सरकार आगे बढ़ चुकी है। वर्तमान में राज्य के अन्दर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा अनुदानित दर पर मत्स्य इनपुट योजना, उन्नत मत्स्य बीज उत्पादन योजना, मत्स्य विपणन की योजना, प्रशिक्षण, आर्द्र भूमि का विकास, ट्यूबवेल एवं पम्पसेट का अधिष्ठापन आदि महत्ती योजनायें कार्यान्वित किये जा रहे हैं।
वर्ष 2019-20 में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने हेतु कई योजनाओं का सूत्रण किया गया जिसमें मत्स्य इनपुट योजना, मत्स्य बीज उत्पादन की योजना एवं मुर्गी-सह-मछली की योजना लागू की गई जिससे मत्स्य कृषकों को उन्नत बीज, मत्स्य आहार एवं मेडिसीन की आपूर्ति अनुदानित दर पर की गई। इसके परिणाम स्वरूप मत्स्य उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाने में लाभ हुआ। समेकित मत्स्य पालन के तहत मछली-सह-मुर्गी योजना का क्रियान्वयन से मत्स्य पालन के आधार को मजबूती दी गई एवं कृषकों को दोहरा लाभ का फायदा भी मिल रहा है। इसी प्रकार वर्ष 2019-20 में ही नई बायोफ्लाॅक तकनीक से मत्स्य पालन की योजना की शुरूआत की गई जिसमें कम पानी में ही अधिक मत्स्य उत्पादन किया जा सकता है।
राज्य में इस प्रकार के 194 बायोफ्लाॅक युनिट (5 एवं 10 टैंक की) का कार्यादेश राज्य के विभिन्न जिलों में दिया गया। भ्रमण-दर्शन कार्यक्रम के तहत जिले के मत्स्य पालकों/मछुआरों को विकसित आद्रभूमि एवं बायोफ्लाॅक इकाईयों का भ्रमण कराया गया जिससे मत्स्य कृषकों एवं किसानों को नये-नये तकनीकी जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ। इस योजना के तहत गत् वर्ष करीब 1400 से अधिक किसानों को भ्रमण कराया गया। राज्य के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा अति पिछड़ी जातियों के लाभुको को 90 प्रतिशत अनुदान पर विभिन्न प्रकार के कुल 1200 से अधिक वाहनों का वितरण भी किया गया। प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत आधारभूत संरचना के विकास हेतु चिन्हित एजेंसी को राशि दी गई जिसमें मांगूर हैचरी, झींगा हैचरी, बीज फार्म का जीर्णोद्धार, लैब, आर्द्रभूमि का विकास आदि महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत राज्य के बाहर एवं राज्य के अंदर कुल 36,000 से अधिक लाभार्थियों को अबतक प्रशिक्षित किया गया जिससे मत्स्य कृषक/मछुआरों को काफी फायदा हुआ। डाॅ कुमार ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में भी अतिपिछड़ी/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को 90 प्रतिशत अनुदान पर मात्स्यिकी की विभिन्न योजना प्रस्तावित है। इसके साथ बायोफ्लाॅक तकनीक से मत्स्य पालन, समेकित चौर विकास, इनपुट योजना, उन्नत मत्स्य बीज उत्पादन एवं प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत कई अवयव वित्तीय वर्ष 2020-21 में भी प्रस्तावित की गई। राज्य में 26000 हे में 35 जलाशय उपलब्ध है जिसमें सालों भर पानी उपलब्ध रहता है।
जलाशय में बड़े पैमाने पर केज का निर्माण कर मत्स्य पालन की योजना है। राज्य में वर्तमान में एक भी आधुनिक मत्स्य बाजार नहीं है। बांका एवं पष्चिम चम्पारण जिले में मछली बाजार निर्माण हेतु जगह चिन्हित कर लिए गए हैं। इन जिलों में राज्यस्तरीय आधुनिक मत्स्य बाजार निर्माण किया जाना है। राज्य के सभी जिलों के मछुआरों/मत्स्य पालकों/मत्स्य व्यवसायियों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत अच्छादित करने की योजना कार्यान्वित है। इस योजनान्तर्गत साधारण मृत्यु होने पर भी आश्रितों को 2 लाख रूपये बीमा कम्पनी द्वारा दिया जायेगा।
इसके अतिरिक्त स्पेशल कंटीजेंट पाॅलिसी के तहत ये भी सुविधा इस योजना में शामिल है कि अगर लाभुक अस्पताल में भर्ती होते हैं तो उन्हें 10 हजार रू तक बीमारी के खर्च का वहन बीमा कम्पनी द्वारा किया जायेगा। इसी प्रकार जल जीवन हरियाली अभियान के तहत करीब 850 से अधिक जलस्रोतों (जलक्षेत्र करीब 400 हे) का जीर्णोद्धार/विकास किया गया। उन्होंने बेबीनार को संबोधित करते हुए बताया कि आज का कार्यक्रम राज्य में मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। इस अवसर पर आरओबी, पटना के अपर महानिदेशक एसके मालवीय, केन्द्रीय अन्तरस्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान के निदेशक, डाॅ बीके दास, मत्स्य महाविद्यालय, किशनगंज के डीम, डाॅ बीपी सैनी, अग्रतम इण्डिया के संस्थापक अक्षय वर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।