दिन मंगलवार, समय दो बजे, बेउर जेल के लैंडलाइन टेलीफोन की घंटी अचानक जोर से घनघनाई। ऑपरेटर के फोन उठाते ही कहा जाता है कि एक घंटे में जेल को उड़ाने की साजिश है। फोन को ठीक से रखा भी नहीं गया कि जेल के अंदर से एक कक्षपाल ने कैदियों के बीच जमकर मारपीट होने की सूचना दी। अचानक मिलीं इस तरह की सूचनाओं से जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया।
काराधीक्षक के निर्देश पर जेल के अंदर लगी पगली घंटी बजाई गई। सारे सुरक्षाकर्मी जहां और जिस हालत में थे, हाथ में अस्त्र-शस्त्र लेकर जेल के अंदर भागने लगे। आनन-फानन में सारे कैदियों को उनके वार्ड में बंदकर दिया गया। देखते ही देखते पूरी बेउर जेल पुलिस छावनी में तब्दील हो गई। बेउर थाने की पुलिस भी पहुंच गई। जेल के चारों ओर पुलिस की गश्ती बढ़ा दी गई।
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तीन बजे के आसपास लाउडस्पीकर से सूचना
जेल के अंदर काराधीक्षक जवाहर लाल प्रभाकर व कारापाल त्रिभुवन सिंह अपनी टीम के साथ मोर्चा ले चुके थे। इसके बाद छह टीमें बनाकर सघन तलाशी ली गई। अचानक पगली घंटी बजने से कैदियों में भी हड़कंप मच गया। कैदी अपने-अपने वार्ड में पहले ही जा चुके थे। तलाशी में कोई आपत्तिजनक सामान नहीं मिला। करीब तीन बजे के आसपास लाउडस्पीकर से सूचना प्रसारित कराई गई कि यह मॉक ड्रिल थी। इसके बाद कैदियों व सुरक्षाकर्मियों ने राहत की सांस ली।
गौरतलब है कि एयरपोर्ट और जेल को उड़ाने की धमकियां मिलने के बाद सुरक्षाकर्मियों की सतर्कता व सजगता की जांच करने के लिए प्रशासन द्वारा समय-समय पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाता रहा है। पिछले साल राजधानी पुलिस ने आतंकी हमले की अफवाह उड़ाकर गांधी मैदान के समीप संत जेवियर्स स्कूल में मॉक ड्रिल का आयोजन किया था। इस दौरान एटीएस और एसटीएफ की टीमें भी बुलाई गई थीं।